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स्वास्थ्य

खुश कैसे रहें? How to live happily? | Sadhguru Hindi  | Hindi Patrika

खुश कैसे रहें? How to live happily? | Sadhguru Hindi | Hindi Patrika

जीवन वृत्त, ध्यान
खुशी, एक ऐसा पहलू जिसकी इच्छा पूरा मानवता को रहती है , जीवन को एक खुशहाल और सांती पूर्ण बनाना है तो खुशी होनी जरूरी है . खुशी के सारे पहलुओं जानने के लिए , इस विडिओ को पूरा देखने ,
कैसे रोकें मन की बकबक? How to stop the mind’s chatter? | Sadhguru | हिंदी में

कैसे रोकें मन की बकबक? How to stop the mind’s chatter? | Sadhguru | हिंदी में

ध्यान
सद्गुरु एक ऐसा नाम जो आध्यत्म, योग दुनियां का जाना माना चेहरा जिसे पूरी दुनिया फोलोव करती है । जो अपने आप में एक पोसिटिवे ऊर्जा के श्रोत है। आप इनके वीडियो जरूर देखें जिसमे इन्होने बतायें है की " मन के बकबक को कैसे रोकें ? " क्या करें की मन को स्थिर रखा जा सके । आज के इस भाग-दौड़ की दुनिया में ये सबसे बड़ा काम है "मन को स्थिर करना / रखना" । आप इनके वीडियो के माध्यम से सच में बहुत ही हद तक परिवर्तन ला सकते है । (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
सालो साल पुराना कमर दर्द आप खुद ठीक कर सकते है | Back Pain, Slip Disk, Sciatica

सालो साल पुराना कमर दर्द आप खुद ठीक कर सकते है | Back Pain, Slip Disk, Sciatica

मुख्य, योगा, स्वास्थ्य
यदि आप  सालो साल पुराना कमर दर्द से परेशान है तो ये विडियो जरुर देखे , इस विडियो में बताये गाये तरीको से आप खुद ही अपने कमर दर्द से निजाद पा सकते है | https://www.youtube.com/watch?v=mGOLw4d2jEk   कृपया ध्यान दें:-  यह वीडियो क्लिप किताबों और इंटरनेट से प्राप्त ज्ञान के आधार पर बनाया गया है और इस तरह के रूप में इलाज किया जाना चाहिए। कृपया इसे एक चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं मानें किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले अपने स्वास्थ्य देखभाल से परामर्श करें |
मन की हलचल रोकने का एक सरल तरीका

मन की हलचल रोकने का एक सरल तरीका

ध्यान, मुख्य, लाइफस्टाइल (जीवन शैली), स्वास्थ्य
पतंजलि ने योग की बहुत ही सरल परिभाषा दी थी – योग चित्त वृत्ति निरोधः। इसका अर्थ है मन में आने वाले सभी बदलाव रुक जाने पर योग की स्थिति प्राप्त होती है। जानते हैं ऐसी स्थिति तक पहुँचने का सरल उपाय | अगर आप हर चीज को उसी तरह समझते और महसूस करते हैं, जैसी वो है, तो लोग आपको दिव्यदर्शी या मिस्टिक कहते हैं। अगर आप जीवन को वैसे नहीं देखते, जैसा वह है तो इसका मतलब है कि आप मिस्टिक नहीं मिस्टेक हैं (गलती कर रहे हैं)। अब हम सब मिलकर उस गलती को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। आपके साथ जो कुछ भी घटित होता है, वह उस तरह से इसलिए घटित होता है, क्योंकि वह आपके मन के पर्दे पर उसी तरह से प्रतिबिंबित होता है। हम आइने के उदाहरण से इसे समझने की कोशिश करते हैं। आपके घर पर जो आइना है, वह अगर रोज अपना आकार बदल ले, तो आपको कभी समझ ही नहीं आएगा कि आप कैसा दिखते हैं। इसीलिए पतंजलि ने योग की बहुत ही आसान और टेक्
हठ योग – योगासन और क्रिया में क्यों लगाए जाते हैं बंध? | Hatha Yoga | Yog Dhyan

हठ योग – योगासन और क्रिया में क्यों लगाए जाते हैं बंध? | Hatha Yoga | Yog Dhyan

योगा, स्वास्थ्य
हठ योग और क्रिया योग में कुछ ऐसे आसन और क्रियाएं होती हैं, जिनमें बंध लगाया जाता है। एक साधक ने सद्‌गुरु से बंध लगाने का महत्व जानना चाहा। जानते हैं सद्‌गुरु से। पुरु : सद्‌गुरु, कुछ खास आसनों और क्रियाओं के अंत में जो ‘बंध’ किया जाता है, उसकी क्या अहमियत है? योग के बंधों का लक्ष्य – ऊर्जा शरीर पर काबू पाना सद्‌गुरु: जो बंध आप करते हैं, ये शुरुआती कदम हैं। बंध का मकसद धीरे-धीरे ऊर्जा पर काबू पाना और उसे मनचाहे ढंग से बंद करना है। प्रयोग के तौर पर आप अपने हाथ का इस्तेमाल करते हुए इसे आजमा सकते हैं। शुरू में आप अपने शरीर का इस्तेमाल करते हुए जोर की मुट्ठी बांधें और फिर खोलें ‐ इसे तीन बार करें। फिर मन में इसे करें। आपको इस गतिविधि से होने वाली संवेदनाओं के प्रति सचेतन होना चाहिए। आप महसूस होने वाली संवेदनाओं के कारण ही जान पाते हैं कि आपकी मुट्ठी बंद है ‐ आपके लिए इसे जानने का
ईशा क्रिया के अनुभव को हमेशा कायम कैसे रखें?

ईशा क्रिया के अनुभव को हमेशा कायम कैसे रखें?

ध्यान, स्वास्थ्य
  प्रश्न: सद्‌गुरु, मैं रोज शांभवी का अभ्यास करता हूं और लगभग रोजाना ईशा क्रिया करता हूं। अब मैं यह अनुभव करने लगा हूं कि ‘मैं शरीर नहीं हूं और मैं मन भी नहीं हूं’। मैं लेकिन मैं हर समय अपने शरीर और मन से दूरी बनाकर कैसे रखूं?   सांस आसानी से अनुभव में नहीं आती सद्‌गुरु: जब आप ईशा क्रिया के दौरान कहते हैं, ‘मैं शरीर नहीं हूं, मैं मन नहीं हूं’ तो यह कोई फिलॉस्फी या विचारधारा नहीं है। यह कोई स्लोगन भी नहीं है जिसे आप अपने अंदर जोर-जोर से कहते रहें और एक दिन रूपांतरित हो जाएं। यह एक सूक्ष्म चेतावनी है जो आप अपनी सांस में भरते हैं। अपने मन में इस बात को बिठाने के लिए ‘मैं शरीर नहीं हूं, मैं मन नहीं हूं’ का इस्तेमाल मत कीजिए। आप बस अपनी सांस में एक खास तत्व जोड़ते हैं। वरना आप अपनी सांस पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। फिलहाल आप हवा की गति से होने वाले संवेदनओं को ही देख पाते
गर्भवती औरत का कैसे रखें ख्याल?

गर्भवती औरत का कैसे रखें ख्याल?

महिलाएं
भारतीय संस्कृति में ब्रह्माण्ड को रचयिता के गर्भ के तौर पर देखा जाता है। इस संदर्भ में यहां महिला को एक ऐसे इंसान के तौर पर देखा जाता है, जो अपने भीतर एक पवित्र जगह रखती है। ऐसे में यहां इस पर बहुत ध्यान दिया गया है कि कैसे उसके साथ व्यवहार किया जाए, कैसे उस पावन स्थान को प्रतिष्ठित किया जाए, कैसे एक आदर्श बच्चे के जन्म के लिए उस स्थान को तैयार किया जाना चाहिए। हर मासिक चक्र के समय होता था कर्मकांड जब वह गर्भवती होगी तो उसका मासिक चक्र रुक जाएगा, लेकिन उसके हर चक्र के समय पर यहां एक विस्तृत कर्मकांड बताया गया है। कोई भी महिला आमतौर पर गर्भधारण के पहले से लेकर प्रसव तक ग्यारह कर्मकांडों से होकर गुजरती है। अगर उसके गर्भ का समय सामान्य है तो वह गर्भधारण के पहले से लेकर प्रसव तक ग्यारह मासिक चक्रों से होकर गुजरती है। इन ग्यारह चक्रों के लिए अपने यहां ग्यारह अलग-अलग कर्मकांड हैं, जहां उसके