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क्या कभी हो पाएगा महिलाओं के पीरियड्स का ‘इलाज’? ज्ञानिकों के सामने बड़ा सवाल आज भी बरकरार है

इलाहार्मोंस में गड़बड़ी या असंतुलन से होती है अनियमित माहवारी

पीरियड्स / मासिक धर्म महिलाओं में होने वाली कॉमन प्रॉब्लम है। जी हाँ आप ने बिल्कुल सही पढ़ा लेकिन ये सुनने में जितना कॉमन प्रॉब्लम लग रहा है कभी कभी यह बेहद गंभीर बीमारी बन जाती है। लेकिन जब इरेग्युलर पीरियड्स की समस्या आए तो हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इससे ग्रस्त महिलाओं को कई प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं। यदि इरेग्युलर पीरियड्स  की समस्या हो तो इसके लक्षण की पहचान कर समय से इसका इलाज करवाना चाहिए।   

पीरियड्स क्या है ?

पीरियड्स महिलाओ में होने वाली एक ऐसी प्रक्रिया है जो महिलाओ ने कम से कम 1 बार होत है  जो एक गर्भधारण की तैयारी की प्रक्रिया है इसका संचालन हॉर्मोन्स करते हैं. इस प्रक्रिया भ्रूण , गर्भाशय के अंदर पनपता है जो  कोशिकाओं को मिला कर एक परत बनती है, उसे एंडोमेट्रियम (Endometrium) कहते हैं।  इस प्रक्रिया में अगर अंडा फर्टिलाइज्ड रूप में नहीं रहता है तो ये Endometrium टूट जाता है, जो एक खून के साथ माहवारी के रूप में बाहर आता है. इसे ही  ही पीरियड्स कहते हैं ।

क्या पीरियड्स जानवरों के मादा जीवों के साथ भी होता है ?

यदि इंसानों को एक साधारण वैज्ञानिक भाषा में कहें तो इंसान एक प्रकार का जानवर होत है जिसकी मादा को पीरियड्स होते है। लेकिन अगर दुनियाँ के और अधिकांश जानवरों के मादा जीवों बात करें तो उनके अंदर पीरियड्स जैसी चीजे नहीं होती। इंसानों के अलावा कुछ ही ऐसे जीव है जिन्हे पीरियड्स की जरूरत है. जैसे प्राइमेट्स यानी बंदरों की प्रजातियां, चमगादड़। अब ऐसे में सवाल उठता है की आखिर ये महिलाओं के साथ ही ज्यादा क्यों है? बाकी मादा जानवरों के साथ क्यों नहीं होत है? पीरियड्स के दौरान दर्द और थकान जैसे तमाम समस्यों का सामना क्यों करना पड़ता है।

पीरियड्स जैसे महामारी पर एक्सपर्ट डॉक्टर की राय

यदि जीवन ज्योति हॉस्पिटल के पूर्व चाइल्ड स्पेकइलिस्ट डॉक्टर सुभाष चंद्र जी की माने अगर किसी महिला को एडिनोमायोसिस (Adenomyosis) या एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) नामक बीमारी नहीं है तो पीरियड्स के समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, उन्होंने एक बात और बताई की 25 साल से कम उम्र की 70 फीसदी महिलाओ को इस दर्द और  थकान जैसी समस्या से गुजरना पड़ता है. जबकि 30 प्रतिशत लड़कियों को ज्यादा ब्लीडिंग की समस्या से जूझना पड़ता है। अब सवाल ये उठता है की आखिर क्या इस समस्या का समाधान कभी नहीं हो पाएगा क्योंकि दुनियाँ भर में इस समस्या को महिलाओं में होने वाले आयरन की कमी के चलते बताया जाता है। लेकिन यदि हम केवल इस बात को माँ के चलते है तो समस्या जस की तस बरकरार रहती है।

डुनियाँ में पीरियड्स को ले कर वैज्ञानिको की खोज

आज के युग में इतने सारे सोध और लगातार वैज्ञानिक खोजों के बाद भी इसका कोई स्थाई उपचार नहीं हुआ, इस बात को ले कर जब मैंने इंटरनेट पर गहन सर्च किया तो पता चला की दुनिया में इंसानी शरीर के हर अंग का नेशनल इंस्टीट्यूट है लेकिन महिलाओं के इस  रिप्रोडक्टिव समस्या को ले कर कोई  कोई संस्थान नहीं है। ये सब जान कर मुझे एक इंसानों के इस तरह के रवैये ने मुझे हिला कर रख दिया क्योंकि इतने बड़े माहवारी जिसके चलते एक बहुत बड़ा तबका सदियों से झेल रहा है भले ही ये बीमारी जानलेवा न हो लेकिन इसे ले कर हम इंसानों को गहन अध्ययन करनी चाहिए ।

मै मानता हूँ की यह एक महिलाओ में प्राकृतिक  तरीके से है फिर भी जिस तरह से पीड़ा और कस्ट होती है इस माहवारी  प्रक्रिया में जीसे ले कर इंसानों को और सोध करना चाहिए । आप को बता दे की महिलाओ के अलावा ये पीरियड्स बंदरों की प्रजातियो में होती है जिससे सायद मनुष्य का उत्पत्ति हुई है बाकी इस धरती पर सब सामान्य है।

पीरियड्स को ले कर अभी तक ज्यादा सोध नहीं हुआ है इसका सबसे बड़ा कारण है की यह प्रक्रिया जानवरों में नहीं होती, कुछ अपवाद छोड़ कर, इस लिए सोधकर्ता भी इसे अच्छे से नहीं समझ पाए है,

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