अध्यात्म
अध्यात्म का अर्थ है अपने भीतर के चेतन तत्व को जानना,मनना और दर्शन करना अर्थात अपने आप के बारे में जानना या आत्मप्रज्ञ होना |गीता के आठवें अध्याय में अपने स्वरुप अर्थात जीवात्मा को अध्यात्म कहा गया है | Hindi Patrika

मृत्यु के पश्चात पुनर्जन्म कब?
जिज्ञासा :- आदर सहित निवेदन है की वैदिक मान्यता के अनुसार मृत्यु के उपरान्त तुरंत पूर्वजन्म हो जाता है | संभवतः बृहदारण्यक उपनिषद मे किसी कीड़े के माध्यम से कहा गया है की वह अपने अगले पैर अगले तिनके पर जमा कर फिर तुरंत पिछले को छोड़ देता है, उसी प्रकार आत्मा भी अगले शरीर मे तुरन प्रवेश (कर्मानुसार) कर लेती है |
https://www.youtube.com/watch?v=naR_Co2rhOw
जब यजुर्वेद के 39वें अध्याय के छठे
मंत्र के पदार्थ व भावार्थ मे महर्षि स्वामी दयानंद जी ने जो लिखा उसे पढ़कर भ्रम
पैदा हो गया है, कृपया अल्पबुद्धि के संशय को दर करने की कृपा करें |
समाधान:- बृहदारण्यक उपनिषद के जिस अंश का प्रश्न में उल्लेख किया गया है, तृण-जलुका एक परकार का कीड़ा होता है जो बिना पैर वाला होता है | वह एक तिनके (डाली आदि) से दूसरे तिनके (डाली आदि )पर जाते समय अपने अग्र (मुख) भाग को उठा कर, इधर-उधर घुमा

मृत्यु एवं ईश्वर
जिज्ञासा :- हमारी मृत्यु का ईश्वर से क्या सम्बन्ध
हैं? क्या मृत्यु ईश्वर के द्वारा होती है और कब होती है? कृपया बताने का कष्ट
करें |
रामनारायण
समाधान:-
जीवों को अपने पूर्व कर्मानुसार ईश्वर के द्वारा जाती ( मनुष्य गाय -वृक्ष
आदि), आयु व भोग -साधन प्राप्त होते है | हमारे वर्तमान जीवन के कर्मों से हमारी
आयु व हमारे भोग-साधनों की न्यूनाधिकता हो सकती है, होती है | अन्य प्राणियों व
प्रकृति -पर्यावरण से भी हमारी आयु व हमारे भोग-साधनों की न्यूनाधिकता हो सकती है,
होती है| आयु के साथ ही मृत्यु जुड़ी है |आयु की समाप्ति होने को ही दूसरे शब्दों
मे मृत्यु कहते है |
जन्म के समय पूर्व कर्मानुसार आयु का निर्धारण ईश्वर के द्वारा किया जाने पर
भी चूंकि हमारे वर्तमान के पुरुषार्थ या आलस्य के कारण आयु में न्यूनधिकाता हो
सकती है, साथ ही प्रकृति व अन्य प्राणियों के कारण भी आयु से न्यूनधिकाता हो

मन साकार है या निराकार है?
मन की साकारता -निराकारता पर विचार से पहले यह स्पष्ट हो जाये की “ साकार “
कहते किसे हैं | आकार सहित (युक्त ) अर्थात आकारवान को ‘ साकार ‘ कहते है | ‘आकार’
का अर्थ होता है जिसमें रूप गुण हो | ‘ आकार ‘ का अर्थ प्रायः ‘ लम्बाई -चौड़ाई
-परिमाण भी लिया जाता है , किन्तु यह अर्थ ठीक नहीं | आत्मा ‘निराकार’ होते हुए भी
‘अणु -परिमाण’ होता है | अर्थात उसमें लम्बाई-चौड़ाई -परिमाण होते हुए भी वह
निराकार होता है | मन भी ‘अणु-परिमाण’ होता है, पर आत्मा से स्थूल -बड़ा | किन्तु
मन से भी ‘रूप’ गुण नहीं होता क्योंकि वह ‘रूप-तन्मात्रा ‘ से नहीं बनता , न ही वह
अन्य किसी तन्मात्रा सूक्ष्मभूत से बनता है |
वह तो ‘ अहंकार ‘ से बनता है | अतः शब्द-स्पर्श-रूप-रस-ये पाँच
ज्ञानेन्द्रिय-ग्राह्म गुण नहीं होते | इन गुणों के न होने से मन इन पांचों
ज्ञानेन्द्रियों से नहीं जाना जा सकता, अतः
उसे निरा

मन की गति
जिज्ञासा:-
जैसे प्रकाश की गति 3 लाख किमी/सेकिन्ड है वैसे मन की गति कितनी की मी
/सेकिन्ड है |
श्री उदयवीर सिंह
समाधान :-
मन स्वयं तो एक ही स्थान पर रहता है | मन सूक्ष्म-इंद्रिय है, वह अपने गोलक
स्थूल-इन्द्रिय मस्तिष्क मे रहता है | ज्ञानेन्द्रियों सहित तांत्रिक-तंत्र
(नाड़ियों) के माध्यम से वह सम्पूर्ण शरीर मे संकेत भेजकर कर्मेन्द्रियों मे
यथाशक्य क्रियाये करने मे समर्थ होता है | यह संकेतों का प्राप्त करना व भोजन बहुत
तीव्र गति से होता है | इसे समान्य रूप से प्रकाश की गति के समान कह दिया जाता है,
किन्तु इसकी गति प्रकाश की गति से कुछ न्यून होती है |
मन से जब दूर देश का स्मरण/ चित्र उभरता है तो इसका यह अर्थ नहीं की मन वहाँ पहुच जाता है | वह तो विचार -ज्ञान -स्मृति मात्र से ही होता है , मन तो शरीर मे ही राहत है | जिस प्रकार मन भूतकाल व भविष्काल की घटना-वस्तु का स्मरण करते स

मन का मस्तिष्क से क्या सम्बन्ध है ?
मन सूक्ष्म इन्द्रिय है व मस्तिष्क उसका गोलक ( स्थूल इन्द्रिय ) है | ‘ मन ‘ मस्तिक के सहायता से कार्य करता है | पर मन मृत्यु के बाद आत्मा के साथ सूक्ष्म-शरीर के एक अवयव के रूपं मे जाता है, जब की मस्तिक शरीर के साथ ही राहत है |
https://www.youtube.com/watch?v=nG-qQlBlN9E

कर्मफल एवं अकाल मृत्यु
जिज्ञासा :-
आपने ‘शंका-समाधान’ मे कर्मफल के संदर्भ मे श्री अर्जुनदेव जी स्नातक के
प्रमाणों-तर्कों का समीक्षात्मक उत्तर दिया है | इसी प्रसंग मे एक ही परिवार के नौ
लोगों की मौत को सिरसा -फ तेहाबद राजमार्ग पर हो गई| परिवार मे केवल 70 साल के
नरसी बचे है| इसमें जीवित बचे नरसी जी का अथवा मार चुके चार बच्चों अथवा उनकी
माताओं का क्या दोष? अथवा इन सबका कौन सा ‘कर्मफल’दोष सामने आया? क्या इसको अकाल
मृत्यु कहेंगे?
यह कार व डम्पर की आमने-सामने की टक्कर थी | कार एक वाहन से आगे निकालने के
प्रयास मे सामने से या रहे डम्पर से टकरा गई |
प्रो चंद्रप्रकाश आर्य
समाधान:-
स्पष्ट है यह कार चालक की असावधानी से हुई दुर्घटना है| चालक के अतरिक्त शेष 8
का इसमें दोष नहीं दिखाता | यदि चालक से भिन्न अन्य परिजनों से चालक को आगे
निकालने के लिए प्रेरित भी किया हो, तो भी यह चालक का कर्तव्य था की सावधानी

मन शब्द
जिज्ञासा:-
एक शब्द के कई अर्थ होते है, मन का अर्थ है ‘ज्ञान’ | क्या ‘ मन ‘ का अर्थ
ज्ञान ही है या इससे अतिरिक्त अन्य कोई अर्थ भी है? परमात्मा ज्ञानस्वरूप व
ज्ञानशील है, इससे परमात्मा का नाम ‘मनु’ भी है| ईश्वर जो केवल चेतन मंत्र वस्तु
है उसको मन चाहिये या नहीं ?
समाधान :-
‘मन’ धातु का अर्थ ‘ज्ञान’ होता है ‘मन’ शब्द का अर्थ है जिसके द्वारा जाना जाता है, अर्थात जो ज्ञान का साधन-उपकरण है | ईश्वर चेतन मात्र वस्तु है, उसे ‘ मन’ नामक उपकरण की आवश्यकता नहीं होती | ईश्वर अपने समर्थ से बिना मन के ज्ञान प्राप्त कर सकता है | किन्तु आत्मा को ‘ मन’ की आवश्यकता होती है |

आत्मा का भार
news18
जिज्ञासा :-
जैसे एलेक्ट्रान का वजन 10 -31 की. ग्रा. है, वैसे ही जब आत्मा 17 तत्वों सहित व जन्म-जन्मांतरों का लेखा-जोखा ( संस्कार) लेकर जब शरीर छोड़ाता है तो उस समय आत्मा का वजन (परिमाण) क्या होता है ?
समाधान:-
मृत्यु के बाद देहान्तर के लिए जाते समय आत्मा व सूक्ष्म शरीर का भार कितना होता है, इस विषय मे कोई प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है | कुछ लोग भार मापने का दावा करते है | मृत्यु पूर्व व पश्चात के शरीर भार को देख कर जो अंतर आया उसे आत्मा + सूक्ष्मशरीर का भार कहते हैं | वे कुछ ग्राम का भार बताते हैं |किन्तु यदि यह सत्य हो तो चींटी-मच्छर व इनसे भी हजारों-लाख गुना छोटे शरीरों के संदर्भ में क्या उत्तर होगा ? उनका तो स्थूल-शरीर सहित भार भी ग्राम से दसियों-सैकड़ों-हजारों-लाखों गुना कम होता है |