महिलाओ में हो रहे पीरियड्स से होने वाले दर्द, थकान जैसे दिक्कतों को दूर करने के लिए नए – नए प्रयोग होता रहा हैं. इसके लिए कई तरह के जानवरों के ऊपर भी रिसर्च कीये गए लेकिन सफलता नहीं मिली इस बात को ले कर वैज्ञानिकों के बीच काफी बड़ा मुद्दा बनता चला गया, बाद में एक बड़ी सोध और चर्चा के बाद स्पाइनी चुहिया (Female Spiny Mice) को माहवारी क्लब में सामील किया गया । आप को बता दें की इस धरती पर ऐसे दो जानवर चमगादड़ और छिपकली जो अपने घावों को बहुत तेजी से ठीक कर लेते है. इस तरह के छमता को एकोमिस कैहिरिनस (Acomys cahirinus) कहते हैं। ठीक इसी तरह स्पाइनी चुहिया (Female Spiny Mice) भी अपने घावों को बहुत तेजी से ठीक कर लेती है। इस चुहिया के भी पीरियड्स आते हैं।
अब आप सोच रहें होंगे की आखिर ऐसा कौन आदमी था जिसने स्पाइनी चुहिया में पीरियड्स आते हैं इस बात की खोज की, तो हम आप को बता दें की इसकी बारे में खोज पीटर की स्टूडेंट नादिया बेलोफियोर ने की थी। एक खोज के दौरान पाया की स्पाइनी चुहिया माहवारी, महिलाओं की माहवारी से काफी मिलती-जुलती है साथ ही उन्होंने ये भी देखा की जैसे औरतों में पीरियड्स का समय होत है ठीक उसी तरह चुहिया में भी हो रहे थे। जिस तरह औरतों में दर्द, थकान जैसे दिक्कतों आती थी ठीक उसी तरह इन चुहियों को भी आती है ।
अब काफी सोधकर्ता खुश थे, अब सबको लगा की सायद इस छुहिए के माध्यम से कुछ सही रिजल्ट मिल सकते है इसके बाद काफी कुछ सोध किया गया । सोध के जीतने भी तरीके थे उन सब पर एक एक कर के काम किया गया लेकिन बाद में पता चला की महिलाओं की माहवारी और स्पाइनी चुहिया की माहवारी एक जैसी हो सकती है लेकिन इनका ट्रीटमेंट बिल्कुल अलग-अलग करना तरीके से ही करने होंगे। बात यही नहीं रुकी इसे ले कर काफी कुछ खोज कीये जा रहे तभी पीटर टेंपल-स्मिथ ने निर्णय किया की एक कसी मेडिकल कोंपने से मिल कर एक स्पाइनी चुहिया की ब्रीड तैयार की जाए और उसके ऊपर सोध किया जाए बाद में उन्होंने ठीक ऐसा ही किया । एक जर्मन दवा कंपनी बेयर के साथ मिल कर उन्होंने सोध चालू किया लेकिन सफलता नहीं मिली।
एक सोध में एक बात खास निकाल कर सामने आयी की हर किसी के शरीर से मिकलने वाले हॉर्मोन्स अलग अलग तरीके से कार्य करते हैं. इस लिए पीरियड्स की विभिन्नता हो सकती है इस बात को ले कर काफी कुछ सोध कीये गए।
प्राकृत द्वारा दिए गए इस माहवारी के होने वाले परेसनी से लगभग सभी महिलाये गुजराती है । इसे ले कर काफी कुछ और काफी समय से सोध चल रहा है लेकिन सोध करता अभी भी अंतिम निर्णय तक नहीं पँहुच पाए है । अब देखना ये है की क्या समय पर इसके लिए भी कोई उत्तम और आसान तरीका का सोध हो पायेगे या फिर सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा ।