
यह एक ऐसा सवाल है जो हर कोई जानने मे रुचि रखता है, तो आइए हम जानते है |
भारत हमेस से एक खोज की भूमि रही है जो सदियों से मानव चेनता के विकास के साथ साथ शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक पहलुयों पर भी गहरी खोज और उसे सुचारु रूप से व्यस्थित कार्यान्वित करने की कोसिस होती रही है |
यदि बात करें निंद्रा की तो यह हमारे मांसिक और शरारिक दोनों पर गहरा असर डालती है | हमारे ऋषि-मुनियों ने भी निंद्रा को ले कर बहुत कुछ बताए हैं |
रात्री मे सोने का समय :-
यदि आप रात मे किसी कारण वस 10.00 तक नहीं सो पाएं , तो आप कोसिस करें की 10.30 तक सो जाएं अथवा कोसिस करें की आप अधिकतम 11.00 बजे तक तो सो ही जाएं अन्यथा ये आप के मांसिक और शरारिक दोनों पर गहरा असर डालती है |
बहुत से लोग इस बात को अफवाह मानते है, और लोग इस बारे मे अपने अपने मत देते रहते है | जैसे चाउमीन, गुटखा, खैनी, सराब और ऐसे तमाम चीजें जिसे ले कर लोग कहते है की मै 5 साल से खा रहा हूँ तो कोई कहता है मै 8 साल से खा रहा हूँ कुछ नहीं हुआ लेकिन मै आप को बात दूँ की यदि आप ये जानना चाहते है की क्या होता है तो किसी सपेलिस्ट डॉक्टर से इस बारे मे चर्चा कर सकते है क्यों की इन सबका अशर 10-15 साल मे साफ साफ दिखाता है जो आप ने पहले इन चीजों को ध्यान दिया तो ये समझ से जगजाहीर है | बस आप इसे लोगों के बीच मे जा कर देखें | हमारे वेद-पुराणों मे भी लिखा गया है की रात को मध्य रात्री से 2-3 घंटा पहले सो जाना चाहिये और सुबह अधिकतम 4-5-बजे तक जग जाना चाहिये | इससे आप की चेतना बढ़ती है साथ ही आप के शरारिक की रोगों से लड़ने की क्षमता काफी बढ़ जाती है जिससे आप बहुत से रोग मुक्त हो जाते है |