ये पर्व भाई-बहनों को समर्पित है, इस पर्व को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है, इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं। यह परंपरा भारतीय परिवारों के एकता यहां के नैतिक मूल्यों पर टिकी होती है जो हमारे समाज के नैतिक मूल्यों और उसके पवित्रता को दर्शाती है। इस परंपरा के माध्यम से हमें भाई-बहन के आत्मीय रिश्ते को दर्शाता है जो एक भारतीय की अटूट रिस्तों को एक धागे में पिरोता है।
आप ने रक्षा बंधन के बारे में तो सुना ही होगा जिसमे बहन अपने भाई को राखी बांधती है और भाई के लिए लम्बे आयु की कामना करती है।
रक्षा बंधन जो एक भाई और बहन के प्यार का अटूट रिस्ता परंपरा है लेकिन क्या आप ने कभी भाई दूज के बारे में जानने की कोसिस की है ? मै इस Article में भाई दूज की परंपरा और उसके पीछे के वे सभी बातों की चर्चा करने वाला हूँ। आप इस जानकारी को अपने दोस्तों और जानने वालों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि इस परंपरा से सम्बंधित बातों को जान सके ।
भाई दूज और रक्षाबंधन में अंतर
भाई दूज दिवाली के समापन के ठीक पाँचवे दिन मनाई जाती है, इस त्योहार में बहन अपने भाई को तिलक कर आरती उतारती है और उनकी लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं।
अब आप सोच रहें होंगे की फिर रक्षाबंधन और भाई दूज में क्या अंतर है,
फर्क सिर्फ इतना है की रक्षा बंधन के दिन बहन अपने भाइयों के लिए ब्रत रखती है और राखी बांधती है और उसके बाद तिलक लगा कर आरती उतारती हैं।
कैसे करें भाई दूज के दिन भाई को तिलक ? क्या हैविधि ?
हर परंपरा का अपना एक विधि होता है जिसके तरह पूरे कार्यक्रम किया जाता है, हिन्दू रीतिरिवाजों की बात करें तो हर पूजा अर्चना की अपनी एक विधि होती है जिसके तरह लोग कार्यक्रम करते है ये विधि जगह और क्षेत्र के अनुआर थोड़ा बहुत कही – कही अलग देखने को भी मिलता है।
आईये जानते है भाई दूज मनाने की कुछ विधियाँ :-
1. जो भी बहने है वे पहले बहनें चावल के आटे से चौक तैयार करें।
2. इसी आटे की चौक पर भाई को बैठा कर हाथों से भई की पूजा करें ।
3. उसके बाद अपने भाइयों की आरती भी उतारें।
4. इस दिन बहने भाइयों का मुंह मीठा करने के लिए मिश्री खिलाना चाहिए।
5. भाई के लम्बी उम्र के कमना के लिए शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलती यही जिसका मुख मुख दक्षिण दिशा की ओर रखती है।
जानिए भाई दूज का त्योहार के पीछे की पौराणिक कथा
दीपावली के ठीक पाँचवे दिन भाई दूज मनाया जाता है भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है, आप को बात दें की इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के पूजन का विधान भी है जिसे काफी धूम धाम से मनाया जाता है।
आप सोच रहें होंगे की यम और यमुना की पौराणिक कथा क्या है?
आप आप सोच रहें होंगे की यम और यमुना की पौराणिक कथा क्या है ?
आप को बात दें की ये एक पौराणिक कथा जिसके अनुसार धर्मराज मृत्यु के देवता यम और यमुना दोनों सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान थे।
लेकिन पत्नी संध्या देवी सूर्य के तेज को सहन न कर पाने के कारण अपनी दोनों संतानों को छोड़ कर मायके चली गईं, जिसके चलते दोनों भाई बहन माँ के प्यार से बँचित रह गए लेकिन दोनों में इतना प्यार था की लेकिन दोनों में आपस में खूब प्यार था।
कुछ साल बीते उसके बाद यम की बहन की शादी हो गई, कुछ दिन बाद बहन के बुलावे पर यम द्वितीया के दिन उनके घर पहुंचे थे, उसके बाद यमुना जी ने भाई को भोजन कराया, तिलक लगा कर पूजन किया था उसके बाद यम काफी प्रसन्न हुए और अपनी बहन को वर मगने को कहा, जिसके बाद यमुना जी ने कहाँ की हर साल इसी दिन भाई अपने बहन के घर जाएगा, इस दिन जो भी बहने अपने भाई की तिलक करेगी उसे आपका भाय नहीं राहेगी, जिसेक बाद मृतू के देवता ने उसे ये आशीर्वाद दिया, तब से इस दिन भाई दूज को एक त्योहार को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।