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लघुकथा

Bhai Dooj, Puja Vidhi, Mantra in Hindi: जानिए पूजा की पारंपरिक विधि – विधि से करें भाई दूज के दिन तिल

Bhai Dooj, Puja Vidhi, Mantra in Hindi: जानिए पूजा की पारंपरिक विधि – विधि से करें भाई दूज के दिन तिल


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ये पर्व भाई-बहनों को समर्पित है, इस पर्व को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है, इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं। यह परंपरा भारतीय परिवारों के एकता यहां के नैतिक मूल्यों पर टिकी होती है जो हमारे समाज के नैतिक मूल्यों और उसके पवित्रता को दर्शाती है। इस परंपरा के माध्यम से हमें भाई-बहन के आत्मीय रिश्ते को दर्शाता है जो एक भारतीय की अटूट रिस्तों को एक धागे में पिरोता है। आप ने रक्षा बंधन के बारे में तो सुना ही होगा जिसमे बहन अपने भाई को राखी बांधती है और भाई के लिए लम्बे आयु की कामना करती है। रक्षा बंधन जो एक भाई और बहन के प्यार का अटूट रिस्ता परंपरा है लेकिन क्या आप ने कभी भाई दूज के बारे में जानने की कोसिस की है ? मै इस Article में भाई दूज की परंपरा और उसके पीछे के वे सभी बातों की चर्चा करने वाला हूँ। आप इस जा
दिवाली के दिन माँ  देवी लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है ?

दिवाली के दिन माँ देवी लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है ?


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मुझे पता है काफी लोगों के ये सोचते है की जब प्रभु श्रीराम जी के अयोध्या आने के खुशी में दिवाली मनाई जाती है तो फिर देवी लक्ष्मी जी की पूजा क्यों की जाती है ? इसके पीछे भी एक पौराणिक मान्यता है। चलिए हम इसे भी जानते है। दूसरी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भागवत की मना जाए तो उसमे लिखा है की समुन्द्र मंथन के दौरान कार्तिक महीने की अमावस्या पर देवी लक्ष्मी प्रगत हुई थी और इसी मान्यता से सम्बंधित वाल्मीकि रामायण मे लिखा गया है की इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का जा के ही दिन विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन सबके घरों में लक्ष्मी और विष्णु की पूजा की जाती है । माँ लक्ष्मी धन की देवी है और धन से सुख - समृद्धि आती है इस लिए मत लक्ष्मी की पूजा की जाती है ताकि की कृपा से लोगों के जीवन मे खुशहाली क्योंकी माँ लक्ष्मी हमेसा अपने भक्तों पर कृपया परसती रहती है ।
दिवाली का त्योहार कैसे मनाई जाती है? बदलते हुए समय के अनुसार दिवाली अच्छे और सही तरीके से कैसे मनाये?

दिवाली का त्योहार कैसे मनाई जाती है? बदलते हुए समय के अनुसार दिवाली अच्छे और सही तरीके से कैसे मनाये?

निबंध, मुख्य, लघुकथा
दिवाली या दीपावली एक ऐसा त्योहार है जो संपूर्ण भारत के साथ - साथ पूरे दुनियाँ में धूम धाम से मनाया जाता है, दिवाली दुनियाँ के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। अब इतना बड़ा त्योहार है तो इसके मनाने के भी कुछ अच्छे और सही तरीके हो सकते है, क्या आप जानते है की दिवाली कैसे और क्यों मनाते है? यदि इस बारे में जानकारी चाहते है तो हिन्दीपत्रिका के इस ब्लॉग को आप को जरूर पढ़ना चाहिए। आप को बता दें की दिवाली दुनियाँ का सबसे बड़ा और सबसे आकर्षक त्योहार है, दिवाली को प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है। इस पर्व को पूरे दुनियाँ में “अंधकार पर प्रकाश की विजय”, “अच्छाई की बुराई पर विजय, ” के प्रतीक के रूप मे मनाते हैं। यह दुनियाँ का एक मात्र ऐसा पर्व है जिसे पूरी दुनियाँ धर्म के पाबन्दी को तोड़ कर, बधायों को तोड़ कर मनाते है। इस पर्व को हर धर्म के लोग अपने - अपने तरीकों से मानते है, दिवाली
बिछिया:अजय अमिताभ सुमन

बिछिया:अजय अमिताभ सुमन

अन्य, कहानी, लघुकथा, लघुकथा, साहित्य, हिन्दी साहित्य
Pic Credit:visual hunt दिसंबर का महीना था।कड़ाके की ठंड पड़ रही थी।मार्च में परीक्षा होने वाली थी। भुवन मन लगाकर पढ़ रहा था। माँ ने भुवन को 2000 रुपये, गुप्ता अंकल को देंने के लिये दिए और बाजार चली गई। इसी बीच बिछिया आयी और झाड़ू पोछा लगाकर चली गई। जब गुप्ता अंकल पैसा लेने आये तो लाख कोशिश करने के बाद भी पैसे नही मिले।सबकी शक की नजर बिछिया पे गयी।  काफी पूछताछ की गई उससे। काफी  जलील किया गया।उसके कपड़े तक उतार लिए। कुछ नही पता चला।हाँ बीड़ी के 8-10 पैकेट जरूर मिले। शक पक्का हो गया।चोर बिछिया ही थी। पैसे न मिलने थे, न मिले। मार्च आया। परीक्षा आयी। जुलाई में रिजल्ट भी आ गया। भुवन स्कूल में फर्स्ट आया था। अब पुराने किताबो को हटाने की बारी थी। सफाई के दौरान भुवन को वो 2000 रूपये किताबों के नीचे पड़े मिले। भुुुवन नेे वो रुपये माँ को दिए और बिछिया के बारे में पूछा। मालूम चला उसकी तबियत खरा
मर्सिडीज बेंज वाला गरीब आदमी:अजय अमिताभ सुमन

मर्सिडीज बेंज वाला गरीब आदमी:अजय अमिताभ सुमन


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Photo Credit: Pixabay राजेश दिल्ली में एक वकील के पास ड्राईवर की नौकरी करता था. रोज सुबह समय से साहब के पास पहुंचकर उनकी  मर्सिडीज बेंज की सफाई करता और साहब जहाँ कहते ,उनको ले जाता. पिछले पाँच दिनों से बीमार था. ठीक होने के बात ड्यूटी ज्वाइन की. फिर साहब से पगार लेने का वक्त आया. साहब ने बताया कि ओवर टाइम मिलाकर उसके 9122 रूपये बनते है . राजेश ने पूछा , साहब मेरे इससे तो ज्यादा पैसे बनते हैं. साहब ने कहा तुम पिछले महीने पाँच दिन बीमार थे. तुम्हारे बदले किसी और को ले जाना पड़ा. उसके पैसे तो तुम्हारे हीं पगार से काटने चाहिए. राजेश के ऊपर पुरे परिवार की जिम्मेवारी थी. मरते क्या ना करता.उसने चुप चाप स्वीकार कर लिया. साहब ने उसे 9100 रूपये दिए. पूछा तुम्हारे पास 78 रूपये खुल्ले है क्या? राजेश ने कहा खुल्ले नहीं थे. मजबूरन उसे 9100 रूपये लेकर लौटने पड़े. Photo Credit: Pixabay उसका
अन्ना का चूस लिया गन्ना:व्ययंग:अजय अमिताभ सुमन

अन्ना का चूस लिया गन्ना:व्ययंग:अजय अमिताभ सुमन


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Photo Credit: 4.bp.blogspot.com  पहली बात तो मैं ये बता दूँ , ना तो मैं केजरीवाल जी का विरोधी हूँ और  ना अन्ना जी का समर्थक ।एक बात ये भी बता दूँ की इस लेख का जो शीर्षक है उसका लेखक भी मैं नहीं । इस लेख का लेखक दरअसल एक ऑटो वाला है जिसने हाल ही में ये बात कही थी, मजाकिया अंदाज में।      खैर उसने ये बात "अन्ना का चूस लिया गन्ना" इस परिप्रेक्ष्य में कहा था कि केजरीवालजी ने अपने राजनैतिक कैरियर के लिए अन्नाजी का उपयोग किया , उनका इस्तेमाल किया , फिर उपयोग करके उन्हें फेंक दिया । ये बात मेरे जेहन में भीतर तक घुस गयी । उस ऑटो वाले की बात मुझे बार बार चुभ रही थी।      एक एक करके मुझे वो सारी पुरानी बातें  याद आने लगी । वो रामलीला मैदान याद आने लगा जहाँ मेरे जैसे हजारों लोग अन्ना जी के नाम पे पहुंचे थे।भींगते हुए पानी में अन्नाजी का घंटों तक अन्नाजी इन्तेजार किया था। यहाँ तक की मेर