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दिवाली का त्योहार कैसे मनाई जाती है? बदलते हुए समय के अनुसार दिवाली अच्छे और सही तरीके से कैसे मनाये?

Diwali-Festival

दिवाली या दीपावली एक ऐसा त्योहार है जो संपूर्ण भारत के साथ – साथ पूरे दुनियाँ में धूम धाम से मनाया जाता है, दिवाली दुनियाँ के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है।

अब इतना बड़ा त्योहार है तो इसके मनाने के भी कुछ अच्छे और सही तरीके हो सकते है,

क्या आप जानते है की दिवाली कैसे और क्यों मनाते है? यदि इस बारे में जानकारी चाहते है तो हिन्दीपत्रिका के इस ब्लॉग को आप को जरूर पढ़ना चाहिए।

आप को बता दें की दिवाली दुनियाँ का सबसे बड़ा और सबसे आकर्षक त्योहार है, दिवाली को प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है। इस पर्व को पूरे दुनियाँ में “अंधकार पर प्रकाश की विजय”, “अच्छाई की बुराई पर विजय, ” के प्रतीक के रूप मे मनाते हैं।

यह दुनियाँ का एक मात्र ऐसा पर्व है जिसे पूरी दुनियाँ धर्म के पाबन्दी को तोड़ कर, बधायों को तोड़ कर मनाते है। इस पर्व को हर धर्म के लोग अपने – अपने तरीकों से मानते है, दिवाली प्रकाश और खुशियों का त्योहार है।

यह त्योहार हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे प्रकाश का पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। इस त्योहार की खूबियों ने पूरे मानव जाती को अपने तरफ आकर्षित की जिसके चलते इसे अब पूरी दुनियाँ मानती है । इस त्योहार को विश्व के अन्य देशों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है।

दुनियाँ का ऐसा कोई देश नहीं जहां दिवाली का पर्व ना मनाया जाता हो, इस पर्व को बिशेष तौर पर भारत, नेपाल, बांग्ला देश, भूटान, फ़िजी, मलेशिया, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका आदि देशों में धूम – धाम से दीपावली का पर्व मनाया जाता है।

इस महापर्व पर माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है, माँ लक्ष्मी जो की धन की देवी है, इस दिन पूरे घर की अच्छे से सफाई कर के प्रकाश से सजाते हैं, लोग घरों को अन्दर और बाहार हर जगहों को दीपों से सजाते हैं।

इस महापर्व के दिन विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ बनायीं जाती है, लोग एक दूसरे से प्रेम पूर्वक मिलने जाते है और एक दूसरे को मिठाइयाँ और तोफे भेंट करते है।

आप ने अमावस्या की रात के बारे में तो सुना ही होगा, आप को बात दें की दिवाली की रात ही अमावस्या की रात होती है इसलिए इस रात को सभी लोग अपने घर के बाहार दिप जलाते हैं ताकि दुनियाँ में फैले अंधकार को प्रकाश रूपी उजाले से मिटा कर सन्ति और यमन कायम किया जा सके ताकि पूरे मानव जाती एक खुशहाल भरी जीवन जी सके, अंधकार को दूर छोड़ प्रकाश की तरफ जा सके ।

लेकिन बदलते हुए समय के साथ बहुत सारे लोग आज कल बहुत ही गलत तरीके से दिवाली उत्सव को मनाने लगे है जिसके चलते हर तरफ गन्दगी फैल जाती है जिसका नतीजा की हमारे वातावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो जाता है। आज हम इस लेख में इन्ही सब बातों को जनेगे की एक अच्छे और सही तरीके से दिपावली कैसे मनाये।

दीपावली का त्योहार क्यों मनाते हैं – Diwali ka tyohar Kyu Manate Hai in Hindi

दीपावली का अर्थ होता है – दीप + आवली अर्थात दियों की कतार।

एक पौर्णिक काथा के अनुसार जब राजा दशरथ के पुत्र भगवान पुरूषोतम श्रीराम ने रावण का वध कर के माता सीता को उसके चंगुल से छुड़ाया और 14 साल बाद बनवास काट कर के अयोध्या अपने जन्म भूमि लौटे थे जिसके चलते उनके आने की ख़ुशी में अयोध्या के निबासी इसे एक महापर्व के रूप में मनाया था। इस पर्व को हर साल कार्तिक अमाबास्या के दिन दीप जला के प्रकाश माहपर्व के रूप मे मनाया जाता है। तभी से हिन्दू धर्म मे दिवाली को प्रकाश के पर्व के रूप मे मनाया जाता है।

दिवाली की तैयारीद

आप को बात दें की दशहरा के 20 दिन बाद दिवाली मनाई जाती है, दशहरा समाप्त होते ही लोग दीपावली की लोग तैयारी करने लगते है। इस त्योहार के मनाने से पूर्व सभी अपने आस – पास  और घरों, दुकानों आदि की साफ-सफाई अच्छे से करते हैं। एक मान्यता के अनुसार की माँ लक्ष्मी उसी घर मे आतीं हैं जिस घर मे सफाई हुआ हो।

यदि आप बाज़ारों की बात करें तो हर तरफ चहल-पहल देखने को मिलती है। बाजरों की दुकानों की सजावट भी लाइटों से की जातीं हैं।

दिवाली उत्सव के लिए लोग पटाखेँ , मिठाइयाँ और लाइटे, कपड़े आदि लोग खरीदते है इस समय बाजारों में खूब भीड़ देखने को मिलती है।

दिवाली के एक दिन पहले लोग सोना-चांदी वस्तुएं और घरों में उपयोग किए जाने वाले बहुत से वस्तुएं लोग खरीदते है क्योंकी दिवाली के समय इस वस्तुओ को खरीदना शुभ माना जाता है।

खुशियों की दिवाली कैसे मनाये?

दिवाली एक पवित्र पर्व है जो पूरे पाँच दिन मनाया जाता है।

सफाई और प्रकाश दिवाली पर्व का मुख्य बिन्दु है, इस लिए दिवाली मानाने से पहले अपने घर को अच्छे से साफ़ करें और कचरा को कूड़ेदान में फेकें, जो वस्तुएं जहां होनी चाहिए उसे एक सही जगह पर रखे क्योंकी काफी लोग भाग दौड़ भरी जिंदगी के चलते घर की पूरे वस्तुओ को फैला कर रखते है।

घर को अच्छे से साफ़ करने के बाद अपने अनुसार घर को सजायें, दिवाली के दिन घर को रोशन करने के लिए लोग दिये और मोमबत्ती का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन आप यदि दिये का इस्तेमाल तो काफी बेहतर रहेगा क्योंकी दिये मिट्टी के बनाते है जो कुम्हार लोग बनाते है यदि मिट्टी की दिया का इस्तेमाल करते है तो उनके भी घरों मे खुशियों की दीप जलेगी क्योंकी समय के अनुसार लोग मिट्टी के दिये खरीदने और जलाने में परहेज करते है जिससे कुम्हार समाज को काफी नुकसान होता है उनकी मेहनत की दिये बेकार हो जाते है ।

मै दिये जलाने की बात क्यों कर रहा हूँ, क्योंकी मोमबत्ती में हानिकारक चीजों का उपयोग किया जाता है बहुत से मोमबत्ती रंग बिरंगे होती है जो chemicals के उपयोग कर के बनाया जाता है जिसके चलते ज्यादा खतरनाक होती है। मोमबत्ती कुछ ऐसे पदार्थ से बनाया जाता है जो हमारे वायु को प्रदूषित करती है इससे वातावरण भी हानिकारक होती है।

आप को बात दें की दिवाली पूरे पाँच दिनों का उत्सव होता है जिसे हम अलग -अलग तरीके से मनाते है। इस उत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है और समाप्ति भाई दूज से होती है।

आईये हम जानते है की इन पाँच दिनों में कौन – कौन से उत्सव है और कैसे मानते है ?

धन तेरस

धनतेरस को भगवान धन्वन्तरी की पूजा की जाती है यह दिवाली का पहला दिन होता है। इस दिन लोग बिशेष  खरीदारी करते है क्योंकी इस दिन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। ज्यादा तर लोग धातु से सम्बंधित वस्तुएं खरीदते है, इस दिन सोने – चाँदी के सिक्के, गहने और घर की जरूरत की वस्तुए लोग खरीदते है।

छोटी दिवाली – नरका चतुर्दशी

छोटी दिवाली जिसे नरका चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता हैं।

अब आप सोच रहें होंगे की नरका चतुर्दशी क्या है ? आप को बात दें की इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने असुर नरकासुर का वध करके उसके कैद में बंद सोलह हजार एक सौ कन्याओं को मुक्त कराया था। इस लिए उन कन्याओं के मुक्ति के सम्मान में दीयों से घर को सजाया जाता है।

लक्ष्मी पूजन

माता लक्ष्मी जो की धन देवी मानी जाती है, पूजन का दिन दीपावली का मुख्य दिन होता है। इसी दिन विशेष रूप से धन की देवी माँ लक्ष्मी और शुभता के प्रतीक श्री गणेशजी की पूजा की जाती है। एक मान्यता के अनुसार माँ लक्ष्मी घर मे प्रवेश करतीं हैं और लोगों को सुख-समृद्धि प्रदान करतीं हैं। इस दिन माँ लक्ष्मी के स्वागत के लिए विशेष पूजन की जाती है। दीयों से पूरा घर, बाज़ार जग-मगा उठते हैं साथ ही खूब पटाखे फोड़े जाते हैं और लोग को मिठाइयाँ और उपहार दें कर खुसियाँ बाटी जाती हैं। दिवाली एक प्रकाश के साथ  – साथ रंग का भी उत्सव मनाया जाता है जो एक विशेष तरह के रंगोली बना के मनाई जाती है।

गोबर्धन पूजा

गोवर्धन की पूजा का अपना एक अलग महत्व है, आप को बात दें की लक्ष्मी पूजन के ठीक दूसरे दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है।

अब आप सोच रहें होंगे की सब तो ठीक है लेकिन ये गोवर्धन की पूजा कहाँ से या गया क्योंकी दिवाली तो भगवान श्रीराम के आयोध्या के उत्सव में मनाया जाता है फिर ये गोवर्धन की पूजा क्यों ?

आप को बात दें की गोवर्धन की पूजा भगवान श्री कृष्ण से सम्बंधित है इस दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर इंद्र के अहंकार को तोड़ा था। जिसेके बाद इस इन को गोवर्धन की पूजा के रूप में मनाया जाता है।

भाई दूज

भाई-दूज एक विशेष तरह का त्योहार है जिसके माध्यम से बहन अपने भाई के लिए मंगल कामना करती है इसके बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देता है। इस पर्व को भाई और बहन के बीच स्नेह का पर्व भी कहाँ जाता है ।

दिवाली का पर्व बहुत ही शुभ योग में मनाया जाता है।

आप को बता दें की दिवाली अपने आप में एक एक बहुत बड़ा शुभ योग है। दिवाली का शुभ योग काफी अच्छा है इसमें तुला राशि में चार ग्रह एक साथ मौजूद रहेंगे जो एक अच्छा शुभ मुहूर्त को दर्शाता है ।

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