क्या हम भारतीयों के पास इतनी भी औकात नहीं की अपने देश में अगरबत्ती के जरूरत को भी पूरा कर सके? ऐसे बाते जब पढ़ने और सुनने को मिलता है तो मन विचलित हो जाता है. आज भारत के हर घर में जलाने वाली दूसरी अगरबत्ती चाइनीज है.
आज समाज का बहुत बड़ा तबका आए दिन सरकारों को गाली देता है की सरकार कुछ नहीं करती, लेकिन वे कभी अपने आप से ये नहीं पूछते है की उन्होंने देश और अपने लिए क्या किया है? वे दिन रात दूसरों को कोसने वाले खुद अपने लिए भी कुछ नहीं करते.
अगरबत्ती बनाना बहुत ही छोटी सी टेक्नॉलजी है, जिसे हर कोई आसानी से कर सकता है लेकिन चिंता की बात ये है की दूसरों पर अगुली उठाने वाले कभी अपने गिरेबान में झाक कर तो देखें, की उन्होंने अपने लिए और देश के लिए क्या किया है?
भारत में कुछ नमूने टाइप के विरोधी
टाइप -1
भारत में ऐसे बेवकूफ टाइप के बहुत से लोग मिल जायेगे जो सरकार ने स्वास्थ पर सवाल उठाते है की सरकर ने क्या किया है इस बात पर खूब बहस करेंगे, उनका यदि बात करें तो सरकार ने स्वास्थ लिए कुछ नहीं किया लेकिन जब आप उनके घरों के सामने जा कर देखें तो उनके ही घर के सामने कूड़ा का अम्बार दिख जाएगा, घर के सामने नालियों में कूड़ा भर पानी गली और सड़क क्रॉस कर रहा होगा लेकिन फिर भी ऐसे लोग सरकार के स्वास्थ पर सवाल उठाते है जिन्हे खुद स्वास्थ की चिंता नहीं होती, समाज में ऐसे बहुत से नुमुने मिल जायेगे.
टाइप -2
ऐसे ही नमूने आप को रोजगार वाले मिल जायेगें जो कुछ करने की कोसिस तक नहीं करते बल्कि हाथ फैला कर सरकार से जॉब्स का भीख मगते है, मै मानता हूँ की सरकार को रोजगार के लिए कुछ ना कुछ करना चाहिए, वैसे भी भारत में बेरोजगारी के लिए जितनी सरकार दोषी है उतना ही जनता भी दोषी है, क्योंकी आज भारत में जिनके पास खाने की औकात नहीं है वे भी 5 -10 बच्चे पैदा किए है. फिर जब बच्चे बड़े हो जाते है तो सरका पर थोप देते है. की उनको रोजगार नहीं मिल रहा. वे चाहें तो अपने बच्चों के लिए भारत में अगरबत्ती का बिजनस खड़ा कर सकते है. लेकिन जो व्यक्ति सक्षम है वे भी कुछ नहीं करते है.
टाइप -3
सरकार को भारत के नवजवानों को ध्यान में रखते हुए, भारत में “skill Development” कार्यक्रम चलाया और साथ ही “Make in India” का स्कीम लाया लेकिन भारत के बहुत बडा तबका इसका खूब विरोध किया. कुछ करो तो गलत कुछ ना करो तो गलत.
भारत में ऐसे बहुत से टाइप के नमूने मिल जायेगे, जो दिन रात facebook,Whatsapp, Twitter पर बेवकूफ टाइप के नमूने शेयर करते हुए. जिन्होंने खुद कभी बिना मतलब के देश के लिए कुछ नहीं किया.
अगरबत्ती की मांग – अगरबत्ती रोजगार में कैरियर
आप को जान कर हैरानी होंगी की भारत अपने जरूरत की 50% अगरबत्ती दूसरे देशों से मगंता है जिसकी कुल लगता 4 हजार करोड़ रुपये की होती है, अब सवाल ये उठता है की क्या हम अगरबत्ती भी नहीं बना सकते? क्या हम इतने टेक्नॉलजी में पिछड़े है? माना की अभी की सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में लगी है 6 साल से, लेकिन पिछली 60 साल देश में राज करने वाली सरकारों ने क्या किया, क्या वे केवल वादा करते थे काम नहीं ?
यदि देश के युवा चाहें तो 4 हजार करोड़ रुपये की अगरबत्ती भारत में ही बना सकते है जिससे कई हजारों लोगों को रोजगार मिल जाएगा, अगरबत्ती में भी आप अपने कैरियर बना सकते है और चीन से या रहे विदेशी माल को बंद करा कर देश सेवा कर सकते है.
भारत चाहे तो आयात नहीं निर्यात कर सकता है, अगर भारत के युवा सरकार के सामने भीख का हाथ ना फैला के खुद कुछ ना कुछ करना चालू कर दे तो प्रॉब्लेम अपने आप ही दूर हो जाएगी.
भारत में अगरबत्ती का बाजार – मांग
आप को बात दें की वर्तमान में भारत में अगरबत्ती की खपत लगभग 1500 मीट्रिक टन प्रतिदिन है. जब की भारत में प्रतिदिन 780 मीट्रिक टन अगरबत्ती ही बन पाता है. आप सोच सकते है की इतना बाड़ा युवा देश हम अपने ही जरूरत को पूरा नहीं कर पा रहें है, ये बहुत बाडा अंतर है जिसके बारे में हमें एक सिरे से दोबारा सोचना पड़ेगा और आयातक नहीं निर्यातक बनना पड़ेगा. हमें 4 हजार करोड़ नहीं बल्कि 8 हजार करोड़ का अगरबत्ती तैयार करना होगा. अगरबत्ती कोई कच्चा माल नहीं है जो हप्ते- महीने में खराब हो जाए.
अब सरकार भी ‘खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन’ मुहिम कार्यक्रम के माध्यम से जुड़ गई है जिसका उदेश आत्मनिर्भर बनाना और बेरोजगारों और प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देना है इस लिए आप भी कुछ ना कुछ करें, तभी हम “एक भारत श्रेठ और स्ट्रॉंग भारत ” को कामयाब कर सकते है.
आप को बात दें की सरकार केवीआईसी सफल निजी अगरबत्ती निर्माताओं के माध्यम से लोगों को अगरबत्ती बनाने की स्वचालित मशीन और पाउडर मिक्सिंग मशीन उपलब्ध करने की योजना भी बना लिया है जो युवा भागीदारों के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे उनको ट्रैनिंग दी जाएगी और सरकार के तरफ से स्वचालित मशीन और पाउडर मिक्सिंग मशीन 25% सब्सिडी प्रदान के साथ उपलब्ध कराया जाएगा और शेष 75% राशी आप को आसान किस्तों में देना होगा. सबसे बड़ी बात है की कारीगरों को ट्रेनिंग देने आई लागत का 75% केवीआईसी वहन करेगा.
आप को बात दें की ऑटोमैटिक मशीन से प्रतिदिन 100 किलोग्राम अगरबत्ती बनाने में लगभग 5-6 लोगों की जरूरत पड़ती है मतलब 5-6 लोगों को डायरेक्ट रोजगार मिलेगा