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बिहार की एक और बेटी जीवन की जंग हार चुकी है , क्या बिहार की बेटी रूबी कुमारी को इंसाफ मिलेगा ?

गुस्ताखी माफ,

लेकिन क्या सच में लोग बिक जाते है, बहुत दुख हो रहा है , क्योंकि अब लोगों के जमीर भी मरने लगी है , दिखावे की राजनीति और मीडिया को देख कर अब डर लगता है ।

सेलेक्टेड तरीके से न्यूज कवर करने की बिचार धार को देख बहुत दुख होता है

अब तो उम्मीद की एक दीप भी जलनी बंद हो गई है

पुलिस ने अपना खाता बाही पूरा कर के थाने चली गई है, काफी अच्छे तरीके से फोटो शूट भी पुलिस ने लिया, उनकी तो प्रमोशन हो जाएगा

बिहार के कैमूर जिला के मोहनियाँ थाना क्षेत्र के पानापुर गाँव के निवासी सुरेन्द्र प्रजापति की बेटी रूबी कुमारी का कुछ नरभक्षी लोगो ने रेप कर के मार दिया है, इस केस के कमजोर करने की भरसक कोसिस की जा रही है, गरीब लोगों को दबाने की कोसिस हो रही है |

जानकारी के अनुसार जिन भी लगो ने ये सब कांड किया वे काफी पहुचें हुए और आमिर लोग है ।

जो पहले भी धमकी दिए थे की यदि कुछ बोला तो जान से आओगे लेकिन तब बात कुछ और थी लेकिन अब बात कुछ और है अब तो वे जान ले चुके है ।

बात बिहार की है जहां की बेटी को घर से निकलने नहीं दिया जाता है ।

जो कुछ रूबी प्रजापति के साथ हुआ ओ देख कर अब कोई बाप अपने बेटी को घर से बाहर पढ़ने और जॉब करने की सलाह नहीं देगा ,

दुनियाँ दारी ना जानने और समझने वाली बेटियाँ , जो मासूमियात की लिवाज ओढ़े और सपनों के पंख लगा कर घर से निकलती है लेकिन कुछ नरभक्षी लोग हमेस से फिराक मे रहते है

आज हर कोई न्यूज़ को अपने तरीके और साँचे में सेट करता है यदि सेट हुआ तो कवर करें वर्ना ऐसे बाप, गरीब बेटी तो हर रोज मरते है 1 और सही ।

कुछ मीडिया के लोगों के लिए रूबी प्रजापति एक लड़की नहीं बल्कि आलू – मुली की तरह थी जो कट कई कोई बात नहीं,

एक पिता जिसने बेटी को बाहर पढ़ने के लिए भेंजता है लेकन समाज मे कुछ ऐसे लोग है जो कोई ना कोई सड़यंत्र लगा कर शिकार करने की कोसिस करते है और कर भी लेते है

बात केवल रूबी प्रजापति की नहीं है बल्कि बात अब उन सब पिता की है जिसकी बेटी रूबी प्रजापति की तरह सपनों के पंख लगा कर पटना पढ़ने जाने की खवाइश /सपने देखती है

अब तो जिला कैमूर बिहार के हर प्रजापति समाज का पिता अपने बेटी ओ काभी पटना पढ़ने नहीं जाने देगा क्योंकि जो कुछ हुआ रूबी के साथ वह सभी गरीब पिता को एकदम झकझोर दिया ।

लेकिन अफसोफ़ काफी लोग एक मौन बाबा की तरह तमसा देखते रह गए

एक गरीब किसान / मजदूर के पास इतना पैसा भी नहीं की वह केस लड़ने के लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएगा ,

बिहार मे एक तरह बच्चे अपने अपने 10th परीक्षा मे पास होने की खुशियाँ मना रहे थे वही दूसरी तरह रूबी ने पाने जीवन की जंग हार गई और एक गरीब पिता के सपने जो अपनी बेटी के लिए देख रहा था वह भी हार/फेल हो गया ।

आप लोग मुक बन कर बैठे रहे, अपने अपने सैलरी की इंतिजार करें लेकिन एक बात याद रखिएगा आप लोग की मौन कितने बेटियों के पंख कुतर देगा और कितने बेटी अब बड़े सपने ले कर पटना पढ़ने नहीं जाएगी ।

बात जो भी हो लेकिन जो कुछ हुआ उसे देख अब कितने बेटीयों के सपने चूर-चूर हो जाएगी, अब कितने बेटियाँ पटना नहीं जा पाएगी , अब कितने बेटियाँ 8th और 10th पढ़ कर शादी के मंडप मे बैठा दी जाएंगी ।

लेकिन बस आप लोगों से एक ही सवाल

क्या एक गरीब किसान / मजदूर और एक निर्दोष बेटी हार जाएगी ?

एक सच्च नागरिक
मुकेश

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