संजय सहनी पश्चिम बिहार का एक जुझारू युवा नेता और गरीबों का दोस्त जो कोरोना रूपी संकट में कुछ लोगों के लिए संकट मोचन बन कर सामने आयें |
संजय सहनी से बहुत लोग परिचित है , कैमूर भभुआ के रहने वालें एक ऐसा चेहरा जो युवा दिलों का धड़कन बन गये है, बिना किसी के मदद के लोगों मे एक बडा पहचान बनाने वाले एक युवा धड़कन |
बिहार के कुछ मजदूर कोरोना संकट में दूर दरार क्षेत्र मे फसे हूएं है वे सभी लोग अपने सांसद , बिधायक और लोकल नेता से संपर्क कीये ताकि उनके दो समय के भोजन के लिए मदद करें लेकिन किसी ने उन मजदूरों की एक नहीं सुनी|
उसके बाद सभी मजदूर मिल कर संजय सहनी जी से निवेदन कीये जीसके पश्चात उन्होंने सभी गरीबों को 1000 रूपीया तुरंत ततकाल मदद का अस्वासन दिए |
इस कोरोना रूपी महामारी ओ हराने के लिए उन्होंने सभी से अनुरोध किया की आप जहां भी है वहीं रहे , घर से बाहर नहीं निकलें |
इससे पहले भी समाज के युवा वर्ग के लिए उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है, जब पश्चिम (पक्ष्मि) बिहार के संगीत, गायकी और कला में रुचि रखने वाले लोगों को अपने टैलेंट, अपने कला दिखाने के लिए दूर- दराज क्षेत्रों मे जाना पड़ता था |
जो युवा गायकी की क्षेत्र मे कुछ करना चाहता थे उनको पटना, दिल्ली, या मुंबई जाना पड़ता था, इसके लिए गरीबों बच्चों को मोटि रकम/पैसे चुकनी पड़ती थी, कुछ बच्चे अपने सपने पूरे करने के लिए वर्षों की कमाई/पैसे को फिल्म और म्यूजिक स्टडीओ को दे देते थे | खास कर ये बच्चे कैमूर (भभुआ), रोहतास, बक्सर, आरा, देहरी, बिक्रमगंज, दिनारा, कोचस, कुछ जिला/क्षेत्र उत्तर प्रदेश के भी थे जिसमे चंदौली, गाजीपुर, सोनभद्र, जैनपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गौरीगंज, बदलापूर, वाराणसी, रेनूकूट, ओबरा आदि क्षेत्र है |
उसमे भी बहुत से ऐसे बच्चे थे जिनके पास टैलेंट/योग्यता तो थी लेकिन काफी गरीब परिवार से होने के नाते वे पटना, दिल्ली, या मुंबई नहीं जा पते थे जिसके चलते उनकी पहचान और टैलेंट/योग्यता धरी की धरी रह जाती थी |
ऐसे बच्चे अपने सपने को ले कर केवल जीते थे लेकिन उनके सपने पूरे नहीं हो पते थे,
Surya Temple Gorasara – सूर्य मंदिर रामगढ़ गोड्सरा (Mukesh chakarwarti & sanjay sahani)
ऐसे में जब ये बात संजय सहनी जी को पता चली तो वे सभी बच्चों से मिलें और उनकी दुख दर्द समझे और ऐसे बच्चों के लिए रामगढ़ में एक SONYEX MUSIC AND FILMS PRODUCTION STUDIO ( सोनएक्स म्यूजिक एण्ड फिल्म प्रोडक्शन स्टूडियो ) की नीव रखी जिसका head branch (हेड ब्रांच) दिल्ली में मुकेश चकरवर्ती जी से मिल कर रखी, जिसके चलते पश्चिम बिहार के युवाओं के टैलेंट/योग्यता और उनके सपने को पूरा करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएं |
संजय सहनी जी को कैमूर भाबुआ के लोग पश्चिम बिहार का बेटा के नाम से भी जानते है, ये वही बेटा है जिन्होंने कोरोना रूपी महामारी में गरीब दूर-दराज में फसे लोगों के सहायता के लिए आगे आयें और लोगों की सहता की |
ये तो जगजाहीर है की पश्चिम बिहार के साथ हमेस से सौतेला बर्ताव किया गया है, कभी भी दिल से पश्चिम बिहार की सेवा नहीं की गई और ना ही पश्चिम बिहार के लोगों के मदद के लिए कोई बड़े कदम उठायें गये|
कैमूर में दुर्गवाती नदी पर बहुत बाडा बांधा है जिसेसे कम से कम 2-3 जिले की कृषि सिचाई की सुबिधा किसानों को दि जा सकती है लेकिन मोहनियाँ और दुर्गावती क्षेत्र को इस लाभ से बिल्कुल बँचित रखा गया है | ये वही दुर्गवाती है जिसका नाम दुर्गावती नदी के नाम पर पड़ा है |
जो किसान केवल खेती पर निर्भर है जिनके बच्चे भी खेती से होने वाले आय/इंकम पर निर्भर है 7 दसको से ऐसे परिवार भूखमरी की शिकार होता रहा है, क्योंकी उन परिवारों को सिचाई के लिए नहरी कारण का कोई लाभ नहीं मिलता ऐसे में मोहनियाँ से दुर्गावती तक के पूरा भूभाग बंजर हो जाता है | सरकारों की ये सौतेलापन का शिकार बेचारे गरीब किसान परिवार को भुगड़ना पड़ता है | ऐसे कई सारे मुद्दे है जिसके चलते कैमूर भभुआ के लोग को बेसिक सुबिधयो से बँचित होना पड़ता है, ये वे सुबिधायें है जो भारत के मूलभूत सुबिधायो में से एक है जो आज तक किसानों को लाभ नहीं मिला |
संजय सहनी जी ने इस मुद्दे को कई बार उठायें लेकिन राजनीत और मीडिया में बैठे लोगों के कान पर जु तक नहीं रेगती | अब ओ दिन दूर नहीं जब बहुत जल्द ऐसे तमाम मुद्दों को संसद तक ले जाना है ताकि देश को पता चले और जिससे उन गरीब किसानों को बेसिक सुबिधायें मिल सकें |