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संघर्ष मुखर्जी नगर

Anubhav Singh

” मुखर्जी नगर ”

सरकारी नौकरी की प्यास मे पानी की उस बूँद जैसा जिससे किसी प्यासे की प्यास बुझ जाती हो, यही है मुखर्जी नगर |

कहा जाता है हमारे देश के हर कोने से यहां बच्चे आते है सरकारी नौकरी की चाहत और अपने सपनो को नयी दिशा और पूरा करसके इस ज़िद्द से,

आइये आपको थोड़ा इनकी स्थति से अवगत कराता हु….

दोस्तों तयारी के लिए आने वाले लाखों छात्र हैं जिनमे एक तो जो छोटी परीक्षाओ मे बस पास होकर सेव लाइफ सेव जॉब करने के सपने लिए  बैठे हैं और दूसरे वो जो बड़ी भयंकर बीमारी से झूझ रहे हैं जिस बीमारी का नाम आई ए एस

 

दोस्तों ये वो बीमारी है जो आज मुखर्जी नगर के हर कोने मैं रहने वाले बच्चे के दिल मैं बस चुकी है कुछ के लिए ये नशा जैसी हो गयी है यहां रात कब होती है और दिन कब कुछ पता नहीं चलता, यहां चाय की चर्चा यहां बरसो की परंपरा बनी बैठी है जहां वो एक दूसरे से कुछ और बात करने के वजह बात करते हैं की भूगोल और राजनीती के किस्से बताता है सुबह 8 से रात के 9 तक की क्लास के बाद एक नयी ऊर्जा जो सोने नहीं देती वो है आई ए एस बनने की,  इस सपने की चाहत मैं उम्र कैसे बीत जाती है वहां बच्चो को इसकी खबर तक नहीं हो पाती एक अटेम्प्ट के बाद दूसरे की चिंता सताती है और साथ मे घरवालों का प्रेशर तो साल के साथ बढ़ता ही जाता है घरवालों का सब्र अंतिम रूप लेने लगता है मगर ये तो ज़िद्द मे इतना डूब चूका होता है की भूल जाता है की उसकी ज़िद्द के बहार भी एक दुनिया है जहां सब उसका इंतेज़ार कर रहे हैं

पहले प्री और फिर मेंस बस इसी चिंता मे कैसे पंचवर्षीय बन चूका पता ही नहीं चलता, लेकिन कहते हैं इंसान कैसा भी हो उसे एहसास तो होता ही है  हर उस चीज का जिससे वो कही दूर छोड़ देता है इच्छा उसकी भी बहुत होती है की दोस्तों के साथ मौज मस्ती करे, उसकी भी एक गर्लफ्रेंड हो जिससे वो घंटों बातें करे जिसके साथ घूमने जा सके जैसे और भी जाते पर ये उन सब को जान भूझकर दिल के किसी कोने मे दबा देता है और थाम कर लग जाता फिर से उसी भारत और विश्व के भूगोल के भूगोल मे अपने सपने को पूरा करने की ज़िद्द मैं पर ये भूल ही जाता है की उसके जीवन के भूगोल के कई सपने ख़तम हो रहे हैं

“ये जो दर्द है ना यही है वो जो सपनो को पूरा करने के पोटाश को  हमारे अंदर आग का रूप देदेता है “

यहां ऐसे लाखों छात्र हैं जो इस नशे मैं दिन रात बस इसी सपने के लिए जी रहे हैं जो अपना सबकुछ दांव पर लगा रहे हैं बस एक पद की चाहत मैं|

दोस्तों ये जीवन ऐसे ही चलता रहेगा हमेशा,  दिशा देना आपका काम है समस्याएं बहुत हैं यहां पर हल कही बहार नहीं आपके खुद के अंदर है खुदको खोजो, टटोलो वो आपको जो बताएगा उसपर काम करो क्यूकि आपको आपसे बेहतर कोई नहीं जानता…… 
                                                                                            Anubhav singh

 

 

 

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