
जिज्ञासा :-
आपने ‘शंका-समाधान’ मे कर्मफल के संदर्भ मे श्री अर्जुनदेव जी स्नातक के प्रमाणों-तर्कों का समीक्षात्मक उत्तर दिया है | इसी प्रसंग मे एक ही परिवार के नौ लोगों की मौत को सिरसा -फ तेहाबद राजमार्ग पर हो गई| परिवार मे केवल 70 साल के नरसी बचे है| इसमें जीवित बचे नरसी जी का अथवा मार चुके चार बच्चों अथवा उनकी माताओं का क्या दोष? अथवा इन सबका कौन सा ‘कर्मफल’दोष सामने आया? क्या इसको अकाल मृत्यु कहेंगे?
यह कार व डम्पर की आमने-सामने की टक्कर थी | कार एक वाहन से आगे निकालने के प्रयास मे सामने से या रहे डम्पर से टकरा गई |
- प्रो चंद्रप्रकाश आर्य
समाधान:-
स्पष्ट है यह कार चालक की असावधानी से हुई दुर्घटना है| चालक के अतरिक्त शेष 8 का इसमें दोष नहीं दिखाता | यदि चालक से भिन्न अन्य परिजनों से चालक को आगे निकालने के लिए प्रेरित भी किया हो, तो भी यह चालक का कर्तव्य था की सावधानी रखता | अन्य निर्दोषों का मारा जाना या जीवित बचे परिजनों को दुख मिलना, यह सब दुर्घटनावशात है, संयोग से है | ऐसा कभी भी किसी के साथ भी हो सकता है| ऐसी इसथिति मे होने जा रही दुर्घटना को कोई नहीं बचा सकता था |
इससे कोई कर्मफल दोष सामने नहीं आता | यह पूर्वकृत-कर्म का फल किसी भी प्रमाण से सिद्ध नहीं किया जा सकता | चालक को उसकी भूल-असावधनी का दण्ड ईश्वरीय-व्यवस्था से होगा ही | निर्दोषों को जो कष्ट-हानी हुए, उसका भी न्याय ईश्वरीय-व्यवस्था से होगा ही | जितना कष्ट-हानी उन्होंने भोगी, या तो उसके अनुसार उनके उतने पूर्वकृत बिना भोगे पाप कम हो जायेगें या उन्हें उसकी क्षतिपूर्ति आगले किसी जन्म से हो जाएगी | ईश्वर जो भी व्यवस्था करेगी वह यथायोग्य-उचित-न्यायसंगत ही होगी |