दुनिया में सायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसका कोई नाम नहीं हो ।
लोग कहते है की व्यक्ति के जीवन में नाम उतना महत्वपूर्ण नहीं होता जितना की कर्म, क्यों की अच्छे कर्म से ही व्यक्ति खुद और अपने कुल का नाम रोशन करता है ।
व्यक्ति के जीवन में नामकरण संस्कार महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है, व्यक्ति के कर्मो की वास्तविक पहचान उसका नाम ही दिलाता है।
कुछ अक्षरों का समूह जिससे व्यक्ति को जीवनभर उसकी एक पहचान बन जाता है। इस लिए हर एक माता पिता को अपने शिशु के नामकरण के दौरान कुछ बाते खासतौर पर ध्यान में रखनी चाहिए।
1. बुजुर्गों व स्वर्गीय परिजनों के नाम
हमारे समाज में अक्सर लोग ऐसा नाम रखते है जो सुनने में अच्छा लगता है लेकिन कुछ ऐसे भी नाम मिले है जिसका अर्थ कुछ अजब – गजब सा होता है या अर्थविहीन होता है।
नाम रखते समय माता-पिता और परिवार को ध्यान रखना चाहिए की नाम ज्यादा कठिन ना हो और अर्थविहीन ना हो साथ ही साथ अपनाम जनक ना हो ।
साथ ही साथ नाम रखते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखें शिशु का नाम दूर या नजदीकी के बुजुर्गों व स्वर्गीय परिजनों के नाम पर ना हो । हमारे संस्कृति में बुजुर्गों का विशेष सम्मान और स्थान होता है जिसका नाम लेते समय हम बहुत ही सम्मान से नाम लेते है । उनका नाम बोलते या लिखते समय भी सम्मन सूचक शब्द जरूर जोड़ते है ।
ऐसे में बच्चे का नाम रखने से बुजुर्गो के नाम में हल्का पन आता है क्यों की कोई भी बिना सम्मान शब्द जोड़े ही नाम से पुकारने लगता है । जो हमारी संस्कृति में उचित नहीं माना जाता है ।
2. कहीं नाम बनता है मुसीबत
नाम रखते समय माता-पिता और परिवार को ध्यान रखना चाहिए की नाम ज्यादा कठिन ना हो की भविष्य में परेशानी की वजह बन जाए।
क्यों की अक्सर कठिन नामों के चलते व्यक्ति के दस्तावेजों में गलतियां होने लगती है जिसे दुरुस्त करने में दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते है ।
इस लिए व्यक्ति का नाम प्रिय और सुंदर होना चाहिए ताकि बोलने व लिखने में भी आसान हो और व्यक्ति भविष्य में होने वाली परेशानियों से बच सके ।
3. देवी-देवताओं के नाम पर न रखें नाम
हमारे समाज में अक्सर बुजुर्ग को नाम रखने की परम्परा रही है । कई बुजुर्ग बच्चो के नाम देवी-देवताओं के नाम पर भी नाम रखते हैं। जिसके पीछे की धारणा होती है की बच्चे को पुकारेंगे तो इसी बहाने ईश्वर के नाम भी स्मरण होगा जिससे हमें पुण्य की प्राप्ति होगी ।
जबकि हमारे शास्त्रों में देवी-देवताओं के नाम पर शिशु का नामकरण करने को वर्जित नहीं माना गया है । लेकिन यदि आप नाम रखते भी है तो कुछ बातो का ध्यान जरूर रखें ।
जैसे की एक भगवान् का नाम है सच्चिदानंद जिसे अक्सर लोग स्पेलिंग लिखने में गलती कर देते है ।
भविष्य में ये अधिक संभावना होती है की आगे दस्तावेजों में अक्सर त्रुटि की वजह से व्यक्ति को काफी परेशानी का सामना करना है ।
4. जगह के नाम पर न रखें:-
कुछ लोग बच्चो के नाम रखते समय गलती कर जाते है, और उनका नाम किसी स्थान या शहर के नाम पर रख देते है । जिसके कारण आगे चल कर बच्चो को परेशानी उठानी पड़ती है । जैसे बनारस, कन्नोज , कैमूरी , मथुरा आदि नाम न रखें ।
5. शुभ दिन और शुभ मुहूर्त
नामकरण संस्कार भारतीय समाज और परम्परा का एक अंग माना जाता है जिसमे शुभ दिन और शुभ मुहूर्त को ध्यान में रख कर दिया जाता है । इस लिए जब भी अपने शिशु का नामकरण करण तो इस बात की जरूर ध्यान रखना चाहिए।
6. नाम का शाब्दिक अर्थ हो
हर माता-पिता को नामकरण के दौरान ध्यान रखना चाहिए की बच्चे का नाम जो भी हो उसका एक निश्चित अर्थ हो । कहीं आप अपने शिशु का ऐसा नाम ना रख दें की जिसका कोई अर्थ ही ना हो या कुछ अजीब सा अर्थपूर्ण नाम हो जाए । ऐसे में भविष्य में उस अर्थ का मजाक उड़ने लगते है । एक अर्थपूर्ण नाम से बच्चे के प्रति हमारे समाज में लोगो की नजरिया नकारत्मन हो जाता है ।
7. लंबा नाम न रखें
व्यक्ति का नाम ज्यादा लम्बा ना रख कर छोटा नाम ही रखें जो 2-3 शब्दों का हो, ज्यादा से ज्यादा कोसिस करें की 4-5 शब्दों से ज्यादा ना हो । क्यों की छोटे नाम बोलने और लिखने में आसान होता है ।
8. कहीं हास्यांस्पंद नाम न हो
अक्सर हमारे समाज में ऐसा देखने और सुनाने को मिलता है व्यक्ति का नाम कुछ अजीब सा होता है जैसे ,फेकू, घुरबेकाना, घुरा , बिल्ला , लल्लू , पप्पू , टुनटुन जैसे नाम रखने से लोगो में मजाक सा बन जाता है । कभी – कभी लोग मजाक मजाक और प्यार – दुलार में कुछ ऐसे गलतियाँ कर बैठते है जिससे भविष्य में बच्चे मजाक के पत्र बन जाते है ।