ना पूछो मैं क्या कहता हूँ ,
क्या करता हूँ क्या सुनता हूँ .
दुनिया को देखा जैसे ,
चलते वैसे ही मैं चलता हूँ .
चलते वैसे ही मैं चलता हूँ .
चुप नहीं रहने का करता दावा,
और नहीं कुछ कह पाता हूँ.
और नहीं कुछ कह पाता हूँ.
बहुत बड़ी उलझन है यारो,
सचमुच मैं अब शर्मिन्दा हूँ
सचमुच मैं अब शर्मिन्दा हूँ
सच नहीं कहना मज़बूरी,
झूठ नहीं मैं सुन पाता हूँ .
झूठ नहीं मैं सुन पाता हूँ .
मन ही मन में जंग छिडी है ,
बिना आग के मैं जलता हूँ .
बिना आग के मैं जलता हूँ .
सूरज का उगना है मुश्किल ,
फिर भी खुशफहमियों से सजता हूँ .
फिर भी खुशफहमियों से सजता हूँ .
कभी तो होगी सुबह सुहानी ,
शाम हूँ यारो मैं ढलता हूँ .
अजय अमिताभ सुमन
सर्वाधिकार सुरक्षित
Hello, you used to write magnificent, but the last several posts have been kinda boring?
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