Sunday, December 22Welcome to hindipatrika.in

कृष्ण, योगी भी भोगी भी:अजय अमिताभ सुमन

कृष्ण को समझना बहुत ही दुरूह और दुशाध्य कार्य  है. एक तरफ राधा को असीमित प्रेम करते है , तो दूसरी तरफ जब राधा का त्याग करते है तो पुरे जीवन फिर राधा को जीवन में मुड़ कर नहीं देखते हैं. एक तरफ उन्हें योगिराज कहते है तो दूसरी तरफ सोलह हजार रानियों के साथ शादी रचाते है . बचपन में नग्न कन्याओं के नहाते हुए वस्त्र हरते है तो दूसरी तरफ द्रोपदी का चीर हरण से बचाते है. बचपन में इंद्र से लड़ाई करते वक्त गोवर्धन पर्वत को कानी उंगली पर उठा लेते है , तो दूसरी ओर जरासंध से युद्ध में बचकर भाग निकलते है और रणछोड़ कहलाते हैं . जहाँ महाभारत शुरु होने से पहले महाबीर बर्बरीक के प्राण हर लेते है , तो दूसरी और अभिमन्यु के रक्षागत कोई उपाय नहीं करते है.

महाभारत में शस्त्र नहीं उठाने का प्रण करते है तो दूसरी ओर भीष्म के वाणों से व्यथित होकर शस्त्र भी उठा लेते है . कृष्ण गीता का ज्ञान भी देते है और कर्ण को निहत्थे देखकर अर्जुन द्वारा उसका वध भी करवाते है . कृष्ण योगी भी है और गोपियों के साथ रास रचाते वक्त भोगी भी है. कृष्ण एक तरफ चक्र द्वारा शिशुपाल का वध भी करते है तो दूसरी तरफ बासुरी भी बजाते है. कृष्ण नृत्य भी करते है और युध्द भी करते है .  कृष्ण सच की रक्षा हेतु युद्ध को तत्पर होते है तो वक्त पड़ने पे भीम को गलत तरीके से दुर्योधन का वध करने से रोकते भी नहीं.

कृष्ण जैसा व्यक्तित्व को इतिहास में ढूँढना मुश्किल है . यदि कोई योगी देखे तो कृष्ण योगिराज के रूप में नजर आते हैं. तो कृष्ण जब हाथ में वासुरी लेकर नाचते हैं तो ये भोगी की भांति नजर आते है . ये महाबली भीष्म से अति शक्तिशाली है , तभी तो भीष्म भी कृष्ण की पूजा करने हो कहते है . कृष्ण में हर आयाम दृष्टिगोचित होता है .ये  तो आदमी की दशा पे निर्भर करता है ही कृष्ण को योगी माने या भोगी. योद्धा या रणछोड़ , गायक , नर्तक या की कुशल राजनीतिज्ञ . इतिहास में कृष्ण जेसे व्यक्तित्व का मिलना लगभग नामुमकिन है क्योंकि कृष्ण एक साथ सारे विपरीत गुण को परिपूर्णता में परिलक्षित करते हैं.

अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share via
Copy link
Powered by Social Snap