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कृष्ण, योगी भी भोगी भी:अजय अमिताभ सुमन

कृष्ण, योगी भी भोगी भी:अजय अमिताभ सुमन


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कृष्ण को समझना बहुत ही दुरूह और दुशाध्य कार्य  है. एक तरफ राधा को असीमित प्रेम करते है , तो दूसरी तरफ जब राधा का त्याग करते है तो पुरे जीवन फिर राधा को जीवन में मुड़ कर नहीं देखते हैं. एक तरफ उन्हें योगिराज कहते है तो दूसरी तरफ सोलह हजार रानियों के साथ शादी रचाते है . बचपन में नग्न कन्याओं के नहाते हुए वस्त्र हरते है तो दूसरी तरफ द्रोपदी का चीर हरण से बचाते है. बचपन में इंद्र से लड़ाई करते वक्त गोवर्धन पर्वत को कानी उंगली पर उठा लेते है , तो दूसरी ओर जरासंध से युद्ध में बचकर भाग निकलते है और रणछोड़ कहलाते हैं . जहाँ महाभारत शुरु होने से पहले महाबीर बर्बरीक के प्राण हर लेते है , तो दूसरी और अभिमन्यु के रक्षागत कोई उपाय नहीं करते है. महाभारत में शस्त्र नहीं उठाने का प्रण करते है तो दूसरी ओर भीष्म के वाणों से व्यथित होकर शस्त्र भी उठा लेते है . कृष्ण गीता का ज्ञान भी देते है और कर्ण को निहत