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रोहिंग्या मुसलमान: आखिर कौन है रोहिंग्या मुसलमान, क्या ये शरणार्थी है या अवैध प्रवासी ? क्या है चर्चा का बिषय?

रोहिंग्या मुस्लिम (Rohingya Muslim) प्रमुख रूप से बर्मा (म्यांमार) के अराकान (जिसे राखिन (Rakhine) के नाम से भी जाना जाता है) प्रांत में बसने वाले अल्पसंख्यक मुस्लिम लोग हैं ये सुन्नी इस्लाम (Sunni Islam) को मानते है, रोहिंग्या भाषा बोलते है प्रतिबन्ध होने की बजह से ये कम पढ़े लिखे है शिर्फ़ बुलियादी इस्लामी तालीम ही हाशिल कर पाते है  । जिनकी संख्या  बर्मा (म्यांमार) में 10 लाख के आश पाश है | ये म्यांमार में सदियों से रहते आये है | लेकिन इनको बर्मा के लोग और वहां की सरकार अभी भी अपनी नागरिक नहीं मानती | ये अब देश बिहीन हो गए, पहले भी इनके पाश अपना कुछ नहीं था | जिस देश को सन 1400 के आसपास ये लोग अपना मान कर बस गए थे आज वही देश इन्हें अपना मानने से इंकार कर रहा है | ये 1430 में रहाइन पर राज करने वाले बौद्ध राजा नारामीखला के दरबार में नौकर थे | राजा ने मुस्लिम सलाहकारों और दरबारियों को अपनी राजधानी में जगह दी थी |



रहाइन (रखाइन) स्टेट म्यांमार का उत्तर-पश्चिमी छोर है जो बांग्लादेश की सीमा के पाश है| यहाँ के सासको ने भी मुग़ल शासको की तरह अपनी सेना में मुस्लिम पदवियों को रखा इस तरह वहां मुस्लिम कमुनिटी पनपती गयी |

आखिर रोहिंग्या मुसलमान क्यों है चर्चा में? आखिर क्यों इतना नफरत फैली ?

साल 1785 में बर्मा के बौद्ध लोगों द्वारा म्यांमार के दक्षिणी हिस्से अराकान पर कब्जा कर लिया। ये म्यांमार  में पहला मौका था जब मुसलमानों को मारा गया जो और उन्हें वहां से खदेड़ दिया गया | इस घटना के चलते लगभग 35000 – 40000 लोग बंगाल में चले गए ( जो आज का बंगला देश और पश्चिम बंगाल (भारत) है ) |

1826 से 1835 तक एंग्लो बर्मी वार हुवा, 1826 में रहाइन अंग्रेजो के कब्जे में आ गया अंग्रेजो ने बंगालियों को बुलाया और बसने को कहा (जो आज का बंगला देश और पश्चिम बंगाल (भारत) है) | इसी दौरान रोहिंग्या मुसलमान को बसने के लिए प्रोत्साहित किया गया, जिसके चलते बड़ी तादात में प्रवाशी बंगाल से लोग वहाँ पहुचे जिसके चलते रहाइन बौद्धों में एंटी मुस्लिम Filling पनपने लगी और यही जातीय तनाव बड़ा रूप ले लिया जिसके चलते आज रोहिंग्या मुस्लिम चर्चा में है एक ये भी कारण है |

दूसरा बिश्व युद्ध हुवा जापान का इस इलाके में दबदबा बढ़ा अंग्रेज रहाइन छोड़ गए इसके बाद रोहिंग्या मुस्लिम और बौद्ध एक दुसरे का क़त्ल करने लगे | इसके बाद रोहिंग्या मुस्लिमानो को लगा की ओ अंग्रेजो की  संरक्षण मिले तो ओ सुरक्षित है | उसके बाद रोहिंग्या मुस्लिमानो जापान की जासूसी करने लगे | जब जापानियों को पता चला तो रोहिंग्या मुस्लिमानो पर और जुल्ल्म बढ़ा जिसके बाद क़त्ल हुवा, रेप हुवा उन्हें प्रताड़ित किया गया फिर इसके बाद ओ फिर से लाखो  मुस्लिमान बंगाल चले गए| एक सब कारणों के चलते उन्हें आज भी नागरिकता नहीं मिल सकी है |




1962 में जनरल नेविन की लीडरशिप में तखता पलट हुवा था और रोहिंग्या मुस्लिमानो ने रहाइन में अलग देश बनाने की मांग की जिसके चलते वहां की सैनिक साशन ने रोहिंग्या लोगो को नागरिकता देने में माना कर दिया तब से ये बिना देश के बन कर रह रहे है | ऐसे बहुत से कारण है जिसके चलते ये आज चर्चा में है |

संयुक्तराष्ट्र के कई report में इनका जिक्र है जिनमे एक सभी कारणों का उल्लेख है| जो आज भी एक चर्चा का विषय बना हुवा है|

1982 में बर्मा की सैनिक प्रशासन ने सभी अधिकार छीन लिए तब से कई बार इनके बस्तिओ को जलाया गया, जमीने हड़पी गयी, मस्जिदों को ढहा गया, नए स्कुल , माकन – दुकान और मस्जिदे बनाने की Permission (अनुमति) भी नहीं है |

आज की स्थिति ये है की अब रोहिंग्या मुस्लिमान वहां से भागने को मजबूर है , कीचड़ में , नदी के रस्ते, समुद्र के रस्ते नाव से भाग रहे है बच्चे, बूढ़े, जवान सभी मजबूर है, अपने साथ सामन, गठरी ले कर बगाने को मजबूर है | एक भागम – भाग के चलते कई बार नाव डूबने से कई लोग मारे भी गए है | बंगला देश उन्हें अपने देश में घुसाने नहीं दे रहा है| पूरी निगरानी के साथ उनपर करवाई भी कर रहा है| उनको वह से वापस लौटा दिया जा रहा है |

आखिर क्या हुवा था 2012 में ?

म्यांमार के रखाइन (रहाइन) स्टेट में साल 2012 में सांप्रदायिक हिंसा भड़की इस हिंसा में बहुत लोगो की जाने भी गई जिसके चलते लोग भय और डर के चलते विस्थापित होने लगे और ये बड़ी संख्या में भारत या फिर बांग्लादेश में अपनी जान बचाने के लिए दर – दर की ठोकरे खाते रहे और शरण मानते रहे |

क्या है भारत सरकार का रुख ?

बिज़नेस स्टैंडर्ड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक यूएन का मानना है कि कम से कम एक लाख तेइस हजार रोहिंग्या पिछले कुछ दिनों में बांग्लादेश पहुंचे हैं. 25 अगस्त को रोहिंग्या समुदाय के कुछ समूहों ने म्यांमार की पुलिस पोस्ट पर हमला किया था. इस घटना के बाद म्यांमार की सेना ने इनके खिलाफ अभियान छेड़ा है.

इसी बीच भारत सरकार ने कहा था कि वो अपने यहां शरण लिए हुए 40,000 रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार छोड़ देगी. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. आने वाली 11 सितंबर की सुनवाई में सर्वोच्च अदालत ये तय करेगी कि इन लोगों को वापस भेजा जाए या नहीं |

खबरों के मुताबिक रोहिंग्या के लोग जो भारत में बैध (legal ) तरीके से रह रहे है उनको कुछ नहीं किया जाएगा ओ रह सकते है लेकिन जो लोगो छुप कर बॉर्डर क्रोस कर के गैर क़ानूनी तरीके से रह रहे है उनको भारत से वापस म्यांमार छोड़ने का भारत सरकार प्रावधान बना रही है |

क्या है ग्रैटिस वीज़ा ? म्यांमार के लोगो के लिए क्यों है राहत का विषय ?

चीन के ब्रिक्स सम्मेलन के बाद म्यांमार पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार की जनता को बड़ी सौगात दी है. भारत आने की इच्छा रखने वाले मंयामार के हर नागरिक को भारत सरकार ग्रैटिस वीज़ा (Gratis Visa) मंजूरी दे दी है | जो एक राहत का विषय है |

ग्रैटिस वीज़ा मुफ्त वीज़ा होता है, इसमें वीज़ा लेने वाले को किसी तरह की फीस नहीं देनी पड़ती है. अभी तक ये वीज़ा सिर्फ राजदूतों, विदेश सेवा के अधिकारियों और अफगानिस्तान, अर्जेंटीना, बांग्लादेश, मंगोलिया, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों के नागरिकों को दिया जाता है |



 

10 Comments

  • Priti Deshmukh

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    आप और कुछ लिख खुच लिख सके तो , मुझे काफी खुशी होगी,

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