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देश

रेलमंत्री: 600 Kmph तक बढ़ सकती ट्रेनों की रफ्तार

रेलमंत्री: 600 Kmph तक बढ़ सकती ट्रेनों की रफ्तार

देश, मुख्य
          रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेलगाड़ियों की गति बढ़ाकर 600 किलोमीटर प्रति घंटा करने पर नजर है. इसके लिये वह ऐपल जैसी वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे है. उन्होंने यह भी कहा कि दो व्यस्त रूट दिल्ली-कोलकाता और दिल्ली-मुंबई मार्गों पर गतिमान एक्सप्रेस की रफ्तार बढ़ाने के लिये 18,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. 200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक होगी गतिमान एक्सप्रेस की रफ्तार उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस मंजूरी के साथ गतिमान एक्सप्रेस की रफ्तार बढ़कर 200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक हो जाएगी.
बिहार का इस साल का टॉपर भी फर्जी है क्या?

बिहार का इस साल का टॉपर भी फर्जी है क्या?

देश, मुख्य
a सरदार खान जब पहली बार नज़र आता है तो बिना बाल की खोपड़ी लिए, गमछा डाले, जीप की टेक लिए सरदार खान चिल्ला रहा था, “गिरिडीह…गिरिडीह…गिरिडीह…झरिया, धनबाद, वसेपुर…!!!” वो सवारी भर रहा था. पहले गिरिडीह फिर झरिया और फिर पड़ता है वसेपुर. उस वक़्त ये सब कुछ बिहार में था. अब सब कुछ झारखंड में है. सरदार खान की बदौलत खूनी इमेज पाए इन इलाकों में से एक गिरिडीह का बल्ब तब जला जब यहां के सरिया गांव में रहने वाले गणेश कुमार ने आर्ट्स साइड में बिहार बोर्ड टॉप कर दिया. गणेश कुमार ने म्यूज़िक में 83 मार्क्स और हिंदी में 92 मार्क्स स्कोर किये. हुआ ये है कि इस खबर में थोड़ा-थोड़ा शक हो रहा है. अताउल्लाह खान आंखें बंद किये किये गाते थे कि ‘इश्क़ में हम तुम्हें क्या बताएं, किस कदर चोट खाए हुए हैं…’ वही हाल यहां भी है. पिछले साल ‘प्रॉडिगल साइंस’ की बदौलत ऐसी चोट लगी है कि अब बिहार और टॉप, ये दो शब्द एक ही वाक्य मे
अब सीधे नक्सलियों के गढ़ में चोट, आजादी के बाद पहली बार सर्वे करा रही सरकार – आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है.

अब सीधे नक्सलियों के गढ़ में चोट, आजादी के बाद पहली बार सर्वे करा रही सरकार – आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है.

देश
नक्सलियों का गढ़ माने जाने वाले अबूझमाड़ पर सरकार ने चिन्हित करके अपना दखल बढ़ाना शुरू कर दिया है. अबूझमाड़ में चिन्हित करने का काम प्रशासन से शुरू किया है. इसके लिए बाकायदा गांव-गांव जाकर हर एक प्लॉट और घर का सर्वे किया जा रहा है. आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 22 अप्रैल से ये काम नारायणपुर जिले से शुरू किया गया है| ये अभियान अकाबेदा गांव से शुरू किया गया. गांववाले भी चाहते हैं कि उनकी जमीन पर उनका हक हो. ये प्रोजेक्ट काफी वक्त से पाइपलाइन में था, लेकिन अब जाकर पहली बार शुरू हो पाया है.' क्या है मकसद हालांकि प्रशासन / सरकार का कहना है कि इस सर्वे का मकसद रिवेन्यू रिकॉर्ड्स इकट्ठा करना है. ताकि लोगों को उनकी जमीनों पर हक और इंसाफ दिलाया जा सके और साथ ही साथ लगो के आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सके. हालांकि माना ये भी जा रहा है कि
10 मार्च को पत्नी के साथ मनायी थी शादी की पहली सालगिरह, अब खबर आयी शहीद हो गया पति

10 मार्च को पत्नी के साथ मनायी थी शादी की पहली सालगिरह, अब खबर आयी शहीद हो गया पति

देश, मुख्य, राज्य (State)
वैशाली जिला के अभय चौधरी भी शहीद हो गए जो कि लोमा के गाँव के थे यही दस दिन पहले ही छूटी मना कर गए थे इसे पहले भी इनके बड़े भाई भी सेना में शहीद हो चुके हैं और पिता जो थे वह बचपन मे गुजर गए थे । अब बताये उनके घर मे कोई नही बचा इसका जिमेबार कौन ।   छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ के 26 शहीद जवानों में वैशाली का लाल अभय चौधरी भी शामिल है। लोमा गांव में अभय के शहीद होने की खबर मिलते ही गांव में मातम पसर गया। 25 दिन पहले ही अभय अपने गांव में छुट्टियां बिता कर वापस सुकमा गए थे। इन्ही छुट्टियों में उन्होंने अपने शादी की पहली सालगिरह दस मार्च को अपनी पत्नी तान्या चौधरी के साथ मनाई थी।                                                               शहीद जवान की पत्नी। बचपन में ही अपने पिता की हत्या होने के बाद अभय देश भक्ति के जज्बे के साथ 2010 में सीआरपीएफ ज्वाइन किया था। सोमवा
1965 की जंग की सच्चाई, पाकिस्तान आज भी मनाता है झूठा जश्न | भारत-पाकिस्तान 1965 युद्ध डॉक्यूमेंट्री ! शौर्य और बलिदान की वीरगाथा |

1965 की जंग की सच्चाई, पाकिस्तान आज भी मनाता है झूठा जश्न | भारत-पाकिस्तान 1965 युद्ध डॉक्यूमेंट्री ! शौर्य और बलिदान की वीरगाथा |

दुनिया, देश
सेना 1965 की भारत-पाक की जंग की 50वीं सालगिरह मना रही है । कश्मीर के मोर्चे पर पाकिस्तानी हमले की धार कमज़ोर करने के लिए भारत ने पंजाब की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जवाबी हमला किया, लेकिन असल उत्तर में टैंक युद्ध ने दुश्मन के हौसले पस्त कर दिए।
सुकमा हमले: सीआरपीएफ जवान दोपहर का भोजन कर रहे थे जब माओवादियों ने उन पर हमला किया

सुकमा हमले: सीआरपीएफ जवान दोपहर का भोजन कर रहे थे जब माओवादियों ने उन पर हमला किया

दुनिया, देश
सुकमा में CRPF जवानों पर नक्सलियों ने सोमवार को भारी हथियारों से लैस होकर हमला किया था।. शहीद 25 CRPF जवान.    
हर्षो उलाश से मनाया जाएगा चंपारण सत्याग्रह 100 वी  वर्षगांठ समारोह, भारत के पहले सविनय अवज्ञा आंदोलन के 100 वर्षों का जश्न मनाएं जो चंपारण सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है। चंपारण सत्याग्रह के अनकही नायकों के बारे में अधिक जानने के लिए इस पेज को पढ़ें.

हर्षो उलाश से मनाया जाएगा चंपारण सत्याग्रह 100 वी वर्षगांठ समारोह, भारत के पहले सविनय अवज्ञा आंदोलन के 100 वर्षों का जश्न मनाएं जो चंपारण सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है। चंपारण सत्याग्रह के अनकही नायकों के बारे में अधिक जानने के लिए इस पेज को पढ़ें.

देश
चंपारण सत्याग्रह (नील की खेती से सत्याग्रह तक ) गांधीजी एवं चंम्पारण सत्याग्रह गाँधी जी ने चम्पारण में अपना पहला कदम अप्रैल 1917 में रखा था। उन दिनों गांधी जी की भारत में कोई बड़ी पहचान नहीं थी। गांधीजी नील की खेती करने वालों को उनका सही हक दिलाना चाहते थे। अंग्रेज अधिकारियों ने गांधीजी को समझाने का प्रयास किया कि वे चम्पारण के लिए बाहरी व्यक्ति हैं। उनका चम्पारण से कोई लेना-देना नहीं है। अतः उनको चम्पारण के मामले से दूर रहना चाहिए। गांधीजी को आदेश दिया गया कि वे चम्पारण न जाएं। परन्तु गांधी जी ने उस आदेश की अवहेलना की और चम्पारण जाने का निर्णय लिया। लगभग एक साल के अन्दर गांधीजी ने सौ वर्षों से चली आ रही शोषणकारी नील की खेती से लगे दाग को धो डाला। साथ-साथ उन्होंने सत्याग्रह को एक ऐसे हथियार के रूप में प्रदान किया, जिसने हमारे देश को परतंत्रता से मुक्ति दिलायी, और वह भी मात्र तीस सालों