जीवन ऊर्जा तो एक हीं है:अजय अमिताभ सुमन
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जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,ये तुमपे कैसे खर्च करो।
या जीवन में अर्थ भरो या यूँ हीं इसको व्यर्थ करो।
या मन में रखो हींन भाव और ईक्क्षित औरों पे प्रभाव,
भागो बंगला गाड़ी पीछे ,कभी ओहदा कुर्सी के नीचे,
जीवन को खाली व्यर्थ करो, जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,
ये तुमपे कैसे खर्च करो।
या पोषित हृदय में संताप, या जीवन ग्रसित वेग ताप,
कभी ईर्ष्या,पीड़ा हो जलन, कभी घृणा की धधके अगन,
अभिमान, क्रोध अनर्थ तजो, जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,
ये तुमपे कैसे खर्च करो।
या लिखो गीत कोई कविता,निज हृदय प्रवाहित हो सरिता,
कोई चित्र रचो,संगीत रचो, कि कोई नृत्य कोई प्रीत रचो,
तुम हीं संबल समर्थ अहो,जीवन ऊर्जा तो एक हीं है,
ये तुमपे कैसे खर्च करो।
जीवन मे होती रहे आय,हो जीवन का ना ये पर्याय,
कि तुममे बसती है सृष्टी, हो सकती ईश्वर की भक्ति,
तुम कोई तो