जय हो ,जय हो नितीश तुम्हारी जय हो-अजय अमिताभ सुमन
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जय हो,जय हो,
नितीश तुम्हारी जय हो।
जय हो एक नवल बिहार की,
सुनियोजित विचार की,
और सशक्त सरकार की,
कि तेरा भाग्य उदय हो,
तेरी जय हो।
जाति पाँति पोषण के साधन कहाँ होते?
धर्मं आदि से पेट नहीं भरा करते।
जाति पाँति की बात करेंगे जो, मुँह की खायेंगें।
काम करेंगे वही यहाँ, टिक पाएंगे।
स्वक्षता और विकास,
संकल्प सही तुम्हारा है।
शिक्षा और सुशासन चहुँ ओर,
तुम्हारा नारा है।
हर गाँव नगर घर और डगर डगर,
हर रात दिन वर्ष और हर पहर।
नितीश तुम्हारा यही सही है एक विचार,
हो उर्जा का समुचित सुनियोजित संचार।
रात घनेरी बीती,
सबेरा आया है,
जन-गण मन में व्याप्त,
नितीश का साया है।
गौतमबुद्ध की धरा,
इस पावन संसार में,
लौट आया सम्मान,
शब्द बिहार में।
हर गली गली में जोश,
उल्लास अब आया है,
मदमस्त बाहुबली थे जो,
मलीन अब काया ह