
रातों रात वायरल हुआ किसानों की संवेदना को उकेरता गीत
कल "पुरुआ "के मंच से किसानी के कष्ट को रेखांकित करते हुए एक भोजपुरी गीत युट्यूब पर रिलीज हुआ है।
गीत मधुर है। बैकग्राउन्ड में है। और वीडियो में एक थके हुए लेकिन जूझते हुए किसान का चित्रण है।
त परती बा धरती देव बरिसबs कि नाहीं.....
हम अपने देश में मरते किसान देख रहे हैं। गाँवों से शहर की ओर पलायन देख रहे हैं। और शहर में घोर अभाव और असुविधा में एक और दिन जी लेने तथा अपने आश्रितों को जिलाए रखने के लिए मरते रहते हैं।
हमारी सरकारें जिन पार्टियों से बनती रही हैं...वे पार्टियाँ कम संगठित गिरोह ज्यादा हैं। उनमें ऐसे संवेदनशील और विवेकशील लोग नहीं जो सामान्य मनुष्य के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में कुछ मौलिक सोच सकें।
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एक बात और ध्यान देने की है...कि किसी मंच से पहला गाना समस्या बताते हुए क्यों। धमाकेदार आइटम सांग क्यों नही