हे रातों के मच्छर दाता,
तू ही मलेरिया का है बिधाता |
तू चाहें तो रात बिता दे,
तू चाहें तो रात भर जगा दें |
तेरी दया जहाँ जाती है ,
वहां कृपया रहता है तुम्हारा |
तेरा घर तो नाला – नाली
नदी, तालाब, और गंदे पानी |
तू तो दिन वही बिताता,
रात को मेरे घर में आता |
ऊँ ऊँ कर बाते तू करता,
तू तो सबसे है कुछ कहता |
तेरी बाते बहुत निराली,
ऊ ऊ वाली बाते प्यारी |
तेरी बाते जो ना सुनता
उसको तू देता है दण्ड |
हे रातों के मच्छर दाता,
तू ही मलेरिया का है बिधाता |
– Mukesh Chakarwarti
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