प्रतिभाशाली गधे-अजय अमिताभ सुमन
आज दिल्ली में गर्मी आपने उफान पे थी। अपनी गाड़ी की सर्विस कराने के लिए मै ओखला सर्विस सेंटर गया था।
गाड़ी छोड़ने के बाद वहां से लौटने के लिए ऑटो रिक्शा ढूंढने लगा। थोड़ी ही देर में एक ऑटो रिक्शा वाला मिल गया।
मैंने उसे बदरपुर चलने को कहा।
उसने कहा ठीक है साब कितना दे दोगे ?
मैंने कहा: भाई मीटर पे ले चलो ,अब तो किराया भी बढ़ गया है ,अब क्या तकलीफ है?
उसने कहा :साहब महंगाई बढ़ गयी है इससे काम नहीं चलता।
मैं सोच रहा था अगर बेईमानी चरित्र में हो तो लाख बहाने बना लेती है।
इसी बेईमानी के मुद्दे पे सरकार बदल गयी। मनमोहन सिंह चले गए ,मोदी जी आ गए पर आम आदमी में व्याप्त बेईमानी अभी भी जस के तस है।
मैंने रिक्शे वाले से कहा भाई एक कहावत है,
"ते ते पांव पसरिए जे ते लंबी ठौर"
अपनी हैसियत के हिसाब से रहो ,महंगाई कभी कष्ठ नहीं देगी। आजकल कार में घूमता हूँ ,कभी बस में घू