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फंसी जीवन की नैया मेरी,बीच मझधार की तरह।
तू दे दे सहारा मुझको,बन पतवार की तरह ।
तेरी पलकों की मैंने जो,छांव पायी है।
मेरी सुखी सी बगिया में,हरियाली छाई है।
तेरा ये हंसना है या कि,रुनझुन रुनझुन।
खनखनाना कोई,वोटों की झंकार की तरह।
तेरे आगोश में ही,रहने की चाहत है।
तेरे मेघ से बालों ने,किया मुझे आहत है।
मेजोरिटी कौम की हो तुम,तो इसमे मेरा क्या दोष।
ये इश्क नही मेरा,पॉलिटिकल हथियार की तरह।
हर पॉँच साल पे नही, हर रोज वापस आऊंगा।
तेरी नजरों के सामने हीं,ये जीवन बिताउंगा।
अगर कहता हूँ कुछ तो,निभाउंगा सच में हीं।
समझो न मेरा वादा,चुनावी प्रचार की तरह।
जबसे तेरे हुस्न की,एक झलक पाई है।
नही और हासिल करने की,ख्वाहिश बाकी है।
अब बस भी करो ये रखना दुरी मुझसे।
जैसे जनता से जनता की सरकार की तरह।
प्रिये कह के तो देख,कुछ भी कर जाउंगा।
ओमपुरी सड़क को,हेमा माफिक बनवाऊंगा।
अब छोड़ भी दो यूँ,चलाना अपनी जुबां।
विपक्षी नेता का संसद में तलवार की तरह।
चेंज की है पार्टी तो,तुझको क्यों रंज है।
पोलिटीकल गलियों के, होते रास्ते तंग है ।
चेंज की है पार्टी , पर तुझको न बदलूँगा।
छोडो भी शक करना,किसी पत्रकार की तरह ।
बड़ी मुश्किल से गढा ये बंधन,इसे बनाये रखना ।
पॉलिटिकल अपोनेनटो से,इसे बचाये रखना ।
बस फेविकोल से गोंद की,तलाश है ऐ भगवन।
कहीं टूटे न रिश्ता अपना,मिली जुली सरकार की तरह ।
फसी जीवन की नैया मेरी,बीच मझधार की तरह ।
तू दे दे सहारा मुझको,बन पतवार की तरह ।
अजय अमिताभ सुमन
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