Monday, December 23Welcome to hindipatrika.in

Tag: साहित्य

अन्ना का चूस लिया गन्ना:व्ययंग:अजय अमिताभ सुमन

अन्ना का चूस लिया गन्ना:व्ययंग:अजय अमिताभ सुमन

Photo Credit: 4.bp.blogspot.com  पहली बात तो मैं ये बता दूँ , ना तो मैं केजरीवाल जी का विरोधी हूँ और  ना अन्ना जी का समर्थक ।एक बात ये भी बता दूँ की इस लेख का जो शीर्षक है उसका लेखक भी मैं नहीं । इस लेख का लेखक दरअसल एक ऑटो वाला है जिसने हाल ही में ये बात कही थी, मजाकिया अंदाज में।      खैर उसने ये बात "अन्ना का चूस लिया गन्ना" इस परिप्रेक्ष्य में कहा था कि केजरीवालजी ने अपने राजनैतिक कैरियर के लिए अन्नाजी का उपयोग किया , उनका इस्तेमाल किया , फिर उपयोग करके उन्हें फेंक दिया । ये बात मेरे जेहन में भीतर तक घुस गयी । उस ऑटो वाले की बात मुझे बार बार चुभ रही थी।      एक एक करके मुझे वो सारी पुरानी बातें  याद आने लगी । वो रामलीला मैदान याद आने लगा जहाँ मेरे जैसे हजारों लोग अन्ना जी के नाम पे पहुंचे थे।भींगते हुए पानी में अन्नाजी का घंटों तक अन्नाजी इन्तेजार किया था। यहाँ तक की मेर
जय हो जय हो , नीतीश तुम्हारी जय हो-अजय अमिताभ सुमन

जय हो जय हो , नीतीश तुम्हारी जय हो-अजय अमिताभ सुमन

अन्य, मुख्य, राज्य (State), साहित्य, हिन्दी साहित्य
  जय हो , जय हो, नितीश तुम्हारी जय हो।                                                                                     जय हो एक नवल बिहार की , सुनियोजित विचार की, और सशक्त सरकार की, कि तेरा भाग्य उदय हो, तेरी जय हो।                                                                                       जाति पाँति पोषण के साधन कहाँ होते ? धर्मं आदि से पेट नहीं भरा करते।                                                                                     जाति पाँति की बात करेंगे जो, मुँह की खायेंगें। काम करेंगे वही यहाँ, टिक पाएंगे।                                                                                              स्वक्षता और विकास, संकल्प सही तुम्हारा है। शिक्षा और सुशासन चहुँ ओर , तुम्हारा नारा है।        
चाह मेरी प्रभु पाने की तुझको-अजय अमिताभ सुमन (सर्वाधिकार सुरक्षित)

चाह मेरी प्रभु पाने की तुझको-अजय अमिताभ सुमन (सर्वाधिकार सुरक्षित)

मेरी चाहत प्रभु तुझे पाने की, पर तेरी मजबूूूरी आजमाने की। जमाने की नीयत उलझाने को मुझको। वासनाओं की हसरत सताने को मुुझको। ख्वाहिशों का अक्सर चलता मुझपे है जोर, पर प्रभु तझसे ही बंधी जीवन  की डोर। रास्ते हैं अनगिनत,अनगिनत हैं ठौर, मुश्किल हैं ठोकरें मुश्किल है दौड़। भटकन है तड़पन है कितने जमाने की। नियत नही फिर भी तुझको भुलाने की, मंजिल तो तू ही  प्रभु  तुझमें ही मिट जाना, तेरा हो जाना मेरा और मेरा तुझमे खो जाना।                                                                                                     अजय अमिताभ सुमन   सर्वाधिकार सुरक्षित