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मन साकार है या निराकार है?

मन साकार है या निराकार है?

अध्यात्म
मन की साकारता -निराकारता पर विचार से पहले यह स्पष्ट हो जाये की “ साकार “ कहते किसे हैं | आकार सहित (युक्त ) अर्थात आकारवान को ‘ साकार ‘ कहते है | ‘आकार’ का अर्थ होता है जिसमें रूप गुण हो | ‘ आकार ‘ का अर्थ प्रायः ‘ लम्बाई -चौड़ाई -परिमाण भी लिया जाता है , किन्तु यह अर्थ ठीक नहीं | आत्मा ‘निराकार’ होते हुए भी ‘अणु -परिमाण’ होता है | अर्थात उसमें लम्बाई-चौड़ाई -परिमाण होते हुए भी वह निराकार होता है | मन भी ‘अणु-परिमाण’ होता है, पर आत्मा से स्थूल -बड़ा | किन्तु मन से भी ‘रूप’ गुण नहीं होता क्योंकि वह ‘रूप-तन्मात्रा ‘ से नहीं बनता , न ही वह अन्य किसी तन्मात्रा सूक्ष्मभूत से बनता है |  वह तो ‘ अहंकार ‘  से बनता  है | अतः शब्द-स्पर्श-रूप-रस-ये पाँच ज्ञानेन्द्रिय-ग्राह्म गुण नहीं होते | इन गुणों के न होने से मन इन पांचों ज्ञानेन्द्रियों से नहीं जाना जा सकता, अतः  उसे निरा