भारत हमेशा से आध्यत्मिक देश रहा है जहाँ आदिकाल से ही व्यस्थित समाज रहा है, इस समाज को सुचारु रूप से चलने के लिए कुछ कायदे कानून भी बनाये गए जो समय के अनुसार लोगो ने उसे बरकरार रखा। जब बात स्त्री या पुरुष के बिच शारीरिक सम्बन्ध की बात आती है तो इसमें कुछ जिम्मेदारिया होती है जो एक पवित्र रिस्तो के साथ दो लोग एक होते है जिसे पूरा समाज मिल कर एक करता है हमेसा-हमेसा के लिए । जिनके सम्बन्धो को पूरा समाज मान्यता देता है ताकि आने वाले जिम्मेदारी स्त्री का पुरुष के प्रति और पुरुष का स्त्री के प्रति जो अच्छी तरह से निर्वाहन कर सके।
लेकिन कभी-कभी ऐसे भी बाते सामने आती है की कुछ लोग बिना जिम्मेदारी के केवल शारीरिक सम्बन्ध का भोग करना चाहते है जो की समाज बिरुद्ध माना जाता है । देखा जाए तो ये एक अज्ञानता भरी और पशु के समान बर्ताव है जो बिना जिम्मेदारी के आपस में शारीरिक सम्बन्ध बनाते है बिना सोचे समझे और आगे होने वाले जिम्मेदारी से ओ बंचित हो जाते है ।
आगे आप चाहें तो सद्गुरु जी के वीडियो को देख कर आप कुछ अच्छी तरह से आकलन लगा सकते है की आखिर पराई स्त्री या पुरुष के साथ शारीरिक सम्बन्ध क्या बुरा है? या नहीं ।
क्यों की मै मनता हूँ की सामाजिक ढांचे को बरकार रखने के लिए कुछ पहलू सही होते है जिसे जैसा है वैसे रहने दें तो सायद सामाजिक संरचना और उसकी खूबसूरती बरक़रार रहेगी ।
इस विषय में सबका अपना अपना मत भी हो सकता है लेकिन हमें सामाजिक संरचना के बारे में भी बिचार करना चाहिए और जिस समाज में रह रहें है तो मेरे समझ में जिसका किसी को कोई नुकसान नहीं बल्कि एक व्यस्था है तो उसे हमें बरकार रखना चाहिए जिससे रिस्तो में एक मज़बूरी और खूबसूरती बना रहे ।