Author: Ajay Amitabh Suman
आत्म कथ्य-अजय अमिताभ सुमन (सर्वाधिकार सुरक्षित)
ना पूछो मैं क्या कहता हूँ ,
क्या करता हूँ क्या सुनता हूँ .
दुनिया को देखा जैसे ,
चलते वैसे ही मैं चलता हूँ .
चुप नहीं रहने का करता दावा,
और नहीं कुछ कह पाता हूँ.
बहुत बड़ी उलझन है यारो,
सचमुच मैं अब शर्मिन्दा हूँ
सच नहीं कहना मज़बूरी,
झूठ नहीं मैं सुन पाता हूँ .
मन ही मन में जंग छिडी है ,
बिना आग के मैं जलता हूँ .
सूरज का उगना है मुश्किल ,
फिर भी खुशफहमियों से सजता हूँ .
कभी तो होगी सुबह सुहानी ,
शाम हूँ यारो मैं ढलता हूँ .
अजय अमिताभ सुमन
सर्वाधिकार सुरक्षित
जय हो जय हो , नीतीश तुम्हारी जय हो-अजय अमिताभ सुमन
जय हो , जय हो,
नितीश तुम्हारी जय हो।
जय हो एक नवल बिहार की ,
सुनियोजित विचार की,
और सशक्त सरकार की,
कि तेरा भाग्य उदय हो,
तेरी जय हो।
जाति पाँति पोषण के साधन
कहाँ होते ?
धर्मं आदि से पेट नहीं
भरा करते।
जाति पाँति की बात करेंगे जो,
मुँह की खायेंगें।
काम करेंगे वही यहाँ,
टिक पाएंगे।
स्वक्षता और विकास,
संकल्प सही तुम्हारा है।
शिक्षा और सुशासन चहुँ ओर ,
तुम्हारा नारा है।
चाह मेरी प्रभु पाने की तुझको-अजय अमिताभ सुमन (सर्वाधिकार सुरक्षित)
मेरी चाहत प्रभु तुझे पाने की,
पर तेरी मजबूूूरी आजमाने की।
जमाने की नीयत उलझाने को मुझको।
वासनाओं की हसरत सताने को मुुझको।
ख्वाहिशों का अक्सर चलता मुझपे है जोर,
पर प्रभु तझसे ही बंधी जीवन की डोर।
रास्ते हैं अनगिनत,अनगिनत हैं ठौर,
मुश्किल हैं ठोकरें मुश्किल है दौड़।
भटकन है तड़पन है कितने जमाने की।
नियत नही फिर भी तुझको भुलाने की,
मंजिल तो तू ही प्रभु तुझमें ही मिट जाना,
तेरा हो जाना मेरा और मेरा तुझमे खो जाना।
अजय अमिताभ सुमन
सर्वाधिकार सुरक्षित