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बिछिया:अजय अमिताभ सुमन

बिछिया:अजय अमिताभ सुमन

अन्य, कहानी, लघुकथा, लघुकथा, साहित्य, हिन्दी साहित्य
Pic Credit:visual hunt दिसंबर का महीना था।कड़ाके की ठंड पड़ रही थी।मार्च में परीक्षा होने वाली थी। भुवन मन लगाकर पढ़ रहा था। माँ ने भुवन को 2000 रुपये, गुप्ता अंकल को देंने के लिये दिए और बाजार चली गई। इसी बीच बिछिया आयी और झाड़ू पोछा लगाकर चली गई। जब गुप्ता अंकल पैसा लेने आये तो लाख कोशिश करने के बाद भी पैसे नही मिले।सबकी शक की नजर बिछिया पे गयी।  काफी पूछताछ की गई उससे। काफी  जलील किया गया।उसके कपड़े तक उतार लिए। कुछ नही पता चला।हाँ बीड़ी के 8-10 पैकेट जरूर मिले। शक पक्का हो गया।चोर बिछिया ही थी। पैसे न मिलने थे, न मिले। मार्च आया। परीक्षा आयी। जुलाई में रिजल्ट भी आ गया। भुवन स्कूल में फर्स्ट आया था। अब पुराने किताबो को हटाने की बारी थी। सफाई के दौरान भुवन को वो 2000 रूपये किताबों के नीचे पड़े मिले। भुुुवन नेे वो रुपये माँ को दिए और बिछिया के बारे में पूछा। मालूम चला उसकी तबियत खरा
मर्सिडीज बेंज वाला गरीब आदमी:अजय अमिताभ सुमन

मर्सिडीज बेंज वाला गरीब आदमी:अजय अमिताभ सुमन

Photo Credit: Pixabay राजेश दिल्ली में एक वकील के पास ड्राईवर की नौकरी करता था. रोज सुबह समय से साहब के पास पहुंचकर उनकी  मर्सिडीज बेंज की सफाई करता और साहब जहाँ कहते ,उनको ले जाता. पिछले पाँच दिनों से बीमार था. ठीक होने के बात ड्यूटी ज्वाइन की. फिर साहब से पगार लेने का वक्त आया. साहब ने बताया कि ओवर टाइम मिलाकर उसके 9122 रूपये बनते है . राजेश ने पूछा , साहब मेरे इससे तो ज्यादा पैसे बनते हैं. साहब ने कहा तुम पिछले महीने पाँच दिन बीमार थे. तुम्हारे बदले किसी और को ले जाना पड़ा. उसके पैसे तो तुम्हारे हीं पगार से काटने चाहिए. राजेश के ऊपर पुरे परिवार की जिम्मेवारी थी. मरते क्या ना करता.उसने चुप चाप स्वीकार कर लिया. साहब ने उसे 9100 रूपये दिए. पूछा तुम्हारे पास 78 रूपये खुल्ले है क्या? राजेश ने कहा खुल्ले नहीं थे. मजबूरन उसे 9100 रूपये लेकर लौटने पड़े. Photo Credit: Pixabay उसका
अन्ना का चूस लिया गन्ना:व्ययंग:अजय अमिताभ सुमन

अन्ना का चूस लिया गन्ना:व्ययंग:अजय अमिताभ सुमन

Photo Credit: 4.bp.blogspot.com  पहली बात तो मैं ये बता दूँ , ना तो मैं केजरीवाल जी का विरोधी हूँ और  ना अन्ना जी का समर्थक ।एक बात ये भी बता दूँ की इस लेख का जो शीर्षक है उसका लेखक भी मैं नहीं । इस लेख का लेखक दरअसल एक ऑटो वाला है जिसने हाल ही में ये बात कही थी, मजाकिया अंदाज में।      खैर उसने ये बात "अन्ना का चूस लिया गन्ना" इस परिप्रेक्ष्य में कहा था कि केजरीवालजी ने अपने राजनैतिक कैरियर के लिए अन्नाजी का उपयोग किया , उनका इस्तेमाल किया , फिर उपयोग करके उन्हें फेंक दिया । ये बात मेरे जेहन में भीतर तक घुस गयी । उस ऑटो वाले की बात मुझे बार बार चुभ रही थी।      एक एक करके मुझे वो सारी पुरानी बातें  याद आने लगी । वो रामलीला मैदान याद आने लगा जहाँ मेरे जैसे हजारों लोग अन्ना जी के नाम पे पहुंचे थे।भींगते हुए पानी में अन्नाजी का घंटों तक अन्नाजी इन्तेजार किया था। यहाँ तक की मेर
प्रतिभाशाली गधे-अजय अमिताभ सुमन

प्रतिभाशाली गधे-अजय अमिताभ सुमन

आज दिल्ली में गर्मी आपने उफान पे थी। अपनी गाड़ी की सर्विस कराने के लिए मै ओखला सर्विस सेंटर  गया था। गाड़ी छोड़ने के बाद वहां से लौटने के लिए ऑटो रिक्शा ढूंढने लगा। थोड़ी ही देर में एक ऑटो रिक्शा वाला मिल गया। मैंने उसे बदरपुर चलने को कहा। उसने कहा ठीक है साब कितना दे दोगे ? मैंने कहा: भाई मीटर पे ले चलो ,अब तो किराया भी बढ़ गया है ,अब क्या तकलीफ है? उसने कहा :साहब महंगाई बढ़ गयी है इससे काम नहीं चलता। मैं सोच रहा था अगर बेईमानी चरित्र में हो तो लाख बहाने बना लेती है। इसी बेईमानी के मुद्दे पे सरकार बदल गयी। मनमोहन सिंह चले गए ,मोदी जी आ गए पर आम आदमी में व्याप्त बेईमानी अभी भी जस के तस है। मैंने रिक्शे वाले से कहा भाई एक कहावत है, "ते ते पांव पसरिए जे ते लंबी ठौर" अपनी हैसियत के हिसाब से रहो ,महंगाई कभी कष्ठ नहीं देगी। आजकल कार में घूमता हूँ ,कभी बस में घू
कृष्ण, योगी भी भोगी भी:अजय अमिताभ सुमन

कृष्ण, योगी भी भोगी भी:अजय अमिताभ सुमन

कृष्ण को समझना बहुत ही दुरूह और दुशाध्य कार्य  है. एक तरफ राधा को असीमित प्रेम करते है , तो दूसरी तरफ जब राधा का त्याग करते है तो पुरे जीवन फिर राधा को जीवन में मुड़ कर नहीं देखते हैं. एक तरफ उन्हें योगिराज कहते है तो दूसरी तरफ सोलह हजार रानियों के साथ शादी रचाते है . बचपन में नग्न कन्याओं के नहाते हुए वस्त्र हरते है तो दूसरी तरफ द्रोपदी का चीर हरण से बचाते है. बचपन में इंद्र से लड़ाई करते वक्त गोवर्धन पर्वत को कानी उंगली पर उठा लेते है , तो दूसरी ओर जरासंध से युद्ध में बचकर भाग निकलते है और रणछोड़ कहलाते हैं . जहाँ महाभारत शुरु होने से पहले महाबीर बर्बरीक के प्राण हर लेते है , तो दूसरी और अभिमन्यु के रक्षागत कोई उपाय नहीं करते है. महाभारत में शस्त्र नहीं उठाने का प्रण करते है तो दूसरी ओर भीष्म के वाणों से व्यथित होकर शस्त्र भी उठा लेते है . कृष्ण गीता का ज्ञान भी देते है और कर्ण को निहत
न्यायधीश जब न्याय मांगने निकले जोड़े हाथ:अजय अमिताभ सुमन:

न्यायधीश जब न्याय मांगने निकले जोड़े हाथ:अजय अमिताभ सुमन:

स्वतंत्रता के बाद का इतिहास गवाह है, भारतीय न्याय पालिका ने भारतीय जनतंत्र को मजबूत करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। जब जब ऐसा लगा की भारतीय जनतंत्र खतरे में है, तब तब भारतीय न्याय पालिका ने ऐसे ऐसे जजमेंट पास किये जिससे भारतीय जन तंत्र की शाख बची रही। अभी हाल फिलहाल में माननीय सुप्रीम कॉर्ट के माननीय न्याय धीशों ने जिस तरह से प्रेस कॉन्फ्रेंस किया , उससे आम आदमी की आस्था भारतीय न्याय पालिका में डगमगाई है।आजकल की ये घटनाएँ ये साबित करती है कि माननीय सुप्रीम में सबकुछ ठीक नही चल रहा है । आम आदमी इन घटनाओं से क्षुब्ध है। मैंने राह चलते अनेक लोगो की बात चीत में हताशा महसूस की है। लाचारी महसूस की है। इस कविता के माध्यम से मैने इसी हताशा को परिलक्षित करने की कोशिश की है ।   उजाले की चाह मेंं आखिर ,खोजे दिन अब रात, मुश्किल में हालात देेेश की, बड़ी अजब है बात। इस युद्ध
श्रीभगवानुवाच-अजय अमिताभ सुमन (सर्वाधिकार सुरक्षित)

श्रीभगवानुवाच-अजय अमिताभ सुमन (सर्वाधिकार सुरक्षित)

गीता-विभूति योग  श्रीभगवानुवाच "प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्। मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्।।"   मैं दैत्यों में प्रह्लाद और गणना करने वालों का समय हूँ तथा पशुओं में मृगराज सिंह और पक्षियों में मैं गरुड़ हूँ।   पवन: पवतामस्मि राम: शस्त्रभृतामहम्। झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्थि जाह्नवी।। सर्गाणामादिरन्तश्च मध्यं चैवाहमर्जुन। अध्यात्मविद्या विद्यानां वाद: प्रवदतामहम्।। और मैं पवित्र करने वालों में वायु और शस्त्रधारियों में राम हूं तथा मछलियों में मगरमच्छ हूं और नदियों में श्री भागीरथी गंगा जाह्नवी हूं। पशुओं मैं कृष्ण का मृगराज सिंह और मछलियों में घड़ियाल को चुनना कई सारे सवाल पैदा करता है . कृष्ण मृगराज सिंह को हीं  चुनते है, अपनी विभूति को दर्शाने के लिए ,  पशुओं में हाथी हैं , डायनासोर हैं, बाघ है , चीता  है , ऊंट है ,