राष्ट्रोदय गीत
विश्व गगन पर फिर से गूंजे ,भारत माँ की जय जय जय।
बढ़ते जाएँ हो निर्भय , बढ़ते जाएँ हो निर्भय।।
कालजयी है चिंतन अपना , सभी सुखी हो एक ही सपना
जगती है परिवार हमारा , जगती है परिवार हमारा
चमके अपना शील विनय ,
बढ़ते जाए हो निर्भय , बढ़ते जाए हो निर्भय।।
अपनी शक्ति को परकटाये स्नेहामृत पल-पल छलकाए
भेद अभावों को हरना है ,भेद अभावों को हरना है
मंगलमय नव अरूणोदय ,
बढ़ते जाए हो निर्भय , बढ़ते जाए हो निर्भय।।
सृष्टि की समझे रचनाये ,सम्यक विकास पथ अपनाये
वायु , जल , भूमि तत्तवों को ,वायु , जल , भूमि तत्तवों को
सदा रखेंगे तेजोमय ,
बढ़ते जाए हो निर्भय , बढ़ते जाए हो निर्भय।।
जीवन व्रत यह चले अखंडित ,तन-मन -धन सर्वस्व समर्पित ,
जगत गुरु सिहासन सोहे ,जगत गुरु सिहासन सोहे
गौरव महिमा हो अक्षय ,
बढ़ते जाए हो निर्भय , बढ़ते जाए हो निर्भय।।
विश्व गगन पर फिर से गूंजे ,भारत माँ की जय जय जय।
बढ़ते जाएँ हो निर्भय , बढ़ते जाएँ हो निर्भय।।