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Tag: हास्य

ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा:(हास्य व्ययंग):अजय अमिताभ सुमन

ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा:(हास्य व्ययंग):अजय अमिताभ सुमन

जो कर न सके कोई वो काम कर जाएगा, ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा। फेकेगा दाना,फैलाएगा जाल, सोचे कि करे कैसे मुर्गे हलाल। आये समझ में ना शकुनी को जो भी, चाल शतरंजी तमाम चल जायेगा. ये वकील दुनिया में नाम कर जायेगा। चक्कर कटवाएगा धंधे के नाम पे, सालो लगवाएगा महीनों के काम पे। ना हो ख़तम केस कि लगाके पेटिशन, एडजर्नमेंट के सारे इन्तजाम कर जाएगा। ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा। एडजर्नमेंट पेटिसन कि मांगेगा फीस, क्लाएंट का लोन से,टूटे भले ही शीश। होने पे डिसमिस एडजर्नमेंट पेटिसन के, अपील के प्रबंध ये तमाम कर जाएगा। ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा। ना हो दम केस में , फिर भी लड़वाएगा, जेब भारी क्लाएंट की खाली करवाएगा। बिकेगा क्लाएंट का नाम ग्राम धाम तब, सबकुछ नीलाम ये तमाम कर जाएगा . ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा। मच्छड़ के माफिक , खून को चूस , बैठ के सिने पे , निकलेगा जूस। क्लाएंट के सर
सरकारी पालिसी:अजय अमिताभ सुमन

सरकारी पालिसी:अजय अमिताभ सुमन

PC: UNSPLASH रिक्शेवाले से लाला पूछा चलोगे क्या फरीदाबाद? उसने बोला झटाक से उठकर बिल्कुल तैयार हूँ भाई साब. मैं तैयार हूँ भाई साब  कि सामान क्या है तेरे साथ? तोंद उठाकर लाला बोला आया तो मैं खाली हाथ. आया तो मैं खाली हाथ  की साथ मेरे घरवाली है. और देख ले पीछे भैया  वो हथिनी मेरी साली है. वो हथिनी मेरी साली है कि क्या लोगे किराया? देख के तीनों लाला हाथी रिक्शा भी चकराया. रिक्शावाला बोला पहले  आजमा लूँ अपनी ताकत. दुबला पतला चिरकूट मैं तुम तीनों के तीनों आफत. तीनों के तीनों आफत पहले बैठो तो इस रिक्शे पर. जोर लगा के देखूं मैं फिर चल पाता है रिक्शा घर? चल पाता है रिक्शा घर कि जब उसने जोर लगाया. टूनटूनी कमर वजनी रिक्शा  चर चर चर चर चर्राया. रिक्शा चर मर चर्राया कि रोड ओमपुरी गाल. डगमग डगमग रिक्शा डोले हुआ बहुत ही बुरा हाल. हुआ बहुत ही बुरा हाल
प्रतिभाशाली गधे-अजय अमिताभ सुमन

प्रतिभाशाली गधे-अजय अमिताभ सुमन

आज दिल्ली में गर्मी आपने उफान पे थी। अपनी गाड़ी की सर्विस कराने के लिए मै ओखला सर्विस सेंटर  गया था। गाड़ी छोड़ने के बाद वहां से लौटने के लिए ऑटो रिक्शा ढूंढने लगा। थोड़ी ही देर में एक ऑटो रिक्शा वाला मिल गया। मैंने उसे बदरपुर चलने को कहा। उसने कहा ठीक है साब कितना दे दोगे ? मैंने कहा: भाई मीटर पे ले चलो ,अब तो किराया भी बढ़ गया है ,अब क्या तकलीफ है? उसने कहा :साहब महंगाई बढ़ गयी है इससे काम नहीं चलता। मैं सोच रहा था अगर बेईमानी चरित्र में हो तो लाख बहाने बना लेती है। इसी बेईमानी के मुद्दे पे सरकार बदल गयी। मनमोहन सिंह चले गए ,मोदी जी आ गए पर आम आदमी में व्याप्त बेईमानी अभी भी जस के तस है। मैंने रिक्शे वाले से कहा भाई एक कहावत है, "ते ते पांव पसरिए जे ते लंबी ठौर" अपनी हैसियत के हिसाब से रहो ,महंगाई कभी कष्ठ नहीं देगी। आजकल कार में घूमता हूँ ,कभी बस में घू