जिज्ञासा:-
जैसे प्रकाश की गति 3 लाख किमी/सेकिन्ड है वैसे मन की गति कितनी की मी /सेकिन्ड है |
- श्री उदयवीर सिंह
समाधान :-
मन स्वयं तो एक ही स्थान पर रहता है | मन सूक्ष्म-इंद्रिय है, वह अपने गोलक स्थूल-इन्द्रिय मस्तिष्क मे रहता है | ज्ञानेन्द्रियों सहित तांत्रिक-तंत्र (नाड़ियों) के माध्यम से वह सम्पूर्ण शरीर मे संकेत भेजकर कर्मेन्द्रियों मे यथाशक्य क्रियाये करने मे समर्थ होता है | यह संकेतों का प्राप्त करना व भोजन बहुत तीव्र गति से होता है | इसे समान्य रूप से प्रकाश की गति के समान कह दिया जाता है, किन्तु इसकी गति प्रकाश की गति से कुछ न्यून होती है |
मन से जब दूर देश का स्मरण/ चित्र उभरता है तो इसका यह अर्थ नहीं की मन वहाँ पहुच जाता है | वह तो विचार -ज्ञान -स्मृति मात्र से ही होता है , मन तो शरीर मे ही राहत है | जिस प्रकार मन भूतकाल व भविष्काल की घटना-वस्तु का स्मरण करते समय वास्तव मे भूत-काल या भविष्कालमे नहीं जाता, क्योंकि भूत व भविष्य तो अभी है ही नहीं, भूतकाल जा चुका है भविष्काल अभी आया नहीं है, पुनरपि हमें प्रतीति ऐसी होती है की मन भूत – भविष्य मे चला गया है | इसी प्रकार मन से दूर देश -वस्तु तक पहुँचने की भी हमें प्रतीति मात्र होती है , वास्तव मे मन वहाँ जाता ही नहीं है | अतः मन मे इस प्रकार की देशान्तर गति नहीं स्वीकारी जा सकती , फिर उसकी गति के मापन का प्रश्न ही नहीं राहता |